प्रस्तावना:
हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी श्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक बहुत ही अच्छी बात कही थी, उन्होंने कहां जैसा कि एक माता पिता अपने पुत्र की 21-22 वर्ष मैं कहते हैं कि अब तुम अपने पैरों पर खड़े होने लायक हो चुके हो वैसे ही आजादी के 73 साल बाद आज हमारे देश को भी अपने पैरों पर खड़े होने का मौका हमें देना होगा क्योंकि आज के समय मैं हमारे भारत देश को खुद के पैरों पर खड़े होने की सख्त जरूरत है जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके और दूसरे देशों पर कम निर्भर हो सके।
covid-19 की वजह से चाहे हमारा देश कई साल पीछे चला गया है पर इसी की ही वजह से हमें पता चला कि हमारे देश में किस चीज की कमी है और उसके लिए हमें क्या करना है। इन चीजों को बहुत ही बारीकी से समझते हुए और समय की मांग पर हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरे देश को दिखाया और ना ही सिर्फ दिखाया बल्कि इस सपने को पूरा करने के लिए जी जान से लग गए।
आत्मनिर्भर भारत या self-reliant इंडिया का मोटा मोटा यह मतलब है कि अब से ज्यादा जोर चीजों को अपने देश में ही बनाने का प्रयास होगा और ना सिर्फ उन चीजों को देश तक ही सीमित रखा जाएगा बल्कि दूसरे देशों को भी इन चीजों का लाभ उठाने को दिया जाएगा अगर इस चीज का उदाहरण इन कुछ महीनों में ही देखा जाए तो हमें यह दिखाई देता है कि पहले हमारे देश में hydroxychloroquine नामक दवाई का ज्यादा उत्पाद नहीं हुआ करता था लेकिन कोविड-19 के समय पर हमारे देश ने इसका उत्पाद कई गुना बढ़ाया और ना सिर्फ इसे हमारे देश तक ही सीमित रखा बल्कि दूसरे देशों को भी इस दवाई को इस्तेमाल करने का मौका दिया।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में यह भी कहा था कि जरूरी नहीं कि हम एक साथ जितनी भी दूसरे देशों की चीज है उसका उपयोग करना छोड़ दें पर आज से यह जरूर प्रयास करें कि जो भी चीज ले वह भारत में बनी हो जिससे उसका जितना भी पैसा होगा वह भारत सरकार के पास ही जाएगा और वह लोगों के सुविधाओं के लिए ही खर्च होगा अगर हम आज से दुकानों पर जाकर देश में बनी हुई चीजों की ही मांग करेंगे तो उससे भारत में बने सामान की मांग बढ़ेगी और वह दूसरे देशों में भी बिकने लगेंगे इसका उदाहरण लिया जाए तो हम देख सकते हैं कि पहले एप्पल कंपनी भी अपने देश तक ही सीमित थी मगर जैसे-जैसे उसकी मांग बढ़ी वह दूसरे देशों में भी जाकर अपने सामान वहां उपलब्ध कराने लगे।
अभी कुछ ही महीनों पहले जो 20 लाख करोड़ का पैकेज सरकार द्वारा पेश किया गया था उसमें से कुछ खर्चा आत्मनिर्भर भारत अभियान पर भी खर्च होगा ताकि हमारा देश जल्द से जल्द आत्मनिर्भर बने। इस पैकेज का अगर पूरा सार निकाले तो वह भी यही है कि कैसे हम अपने देश को आत्मनिर्भर बनाएं।
उपसंहार:
तो आखिर में हम यही कामना करते हैं कि जल्द से जल्द हमारा देश आत्मनिर्भर बने ताकि हमारे देश के लोगों को भी उसका लाभ हो और हमारे देश को भी क्योंकि जब देश आत्मनिर्भर बनेगा तो बहुत सारी नई नौकरियां भी उत्पन्न होंगी जिससे जो हमारे देश के बेरोजगार है उन्हें भी नौकरी करने का मौका मिलेगा और अपनी कला दिखाने का एक अवसर।
मुझे लगता है जब तक हम लोग सरकारी नौकरी से अपनी निभर्ता नही हटाते तब तक हम आत्मनिर्भर नही बन सकते।
हमे रोजगार मंगने वाला नही रोजगार देने वाला बनना होगा।
जो मेरी राय से सहमत है comment करके बताये,
और जो नही है वो भी बताये क्यू वो सहमत नही है।
बिलकुल भी आपकी बात से सहमत नहीं है , भारत एक मिश्रिती अर्थव्यवस्था है और वर्तमान परिवेश के हिसाब से सरकारी और निजी निर्भरता दोनों जरूरी है हाँ सरकारी तंत्र मे थोड़ा सुधार लाने की आवश्यकता है लेकिन उनका रहना भी जरूरी है और सभी रोजगार देने वाले बन जाएगा तो रोजगार मिलेगा किसको , इसीलिए सिस्टम मे रोजगार लेने वाले और रोजगार पैदा करने वाले के बीच मे संतुलन होना चाहिए , एकदम से पुजीपति अर्थव्यवस्था की तरफ बढना भी खतरनाक साबित हो सकता है