प्रणब मुखर्जी पर निबंध हिंदी में | Essay on Late. Pranab Mukherjee in Hindi

पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी पर हिंदी में निबंध (700 words)

प्रणब मुखर्जी एक भारतीय राजनेता है जिन्होंने २०१२ से २०१७ तक राष्ट्रपति पद को संभाला है। ये इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी से है और इन्होंने कई पद भारत सरकार मै संभाले हैं। ये २००९-२०१२ तक यूनियन फाइनेंस मिनिस्टर भी रह चुके हैं। प्रणब मुखर्जी का जन्म ११ दिसंबर १९३८ मैं मिराती गांव में हुआ था जो कि अभी वेस्ट बंगाल स्टेट में है। इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी है जो कि स्वतंत्रता मूवमेंट में थे, वे लेजिस्लेटिव काउंसिल में १९५२-१९८४ तक एक मेंबर रहे चुके है। वे भी इंडियन नेशनल कांग्रेस से है।उनकी माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी है। इनके एक भाई और एक बहन है। इनकी बड़ी बहन का नाम अन्नपूर्णा है और छोटे भाई का नाम पीयूष है। इन्होंने कई समय तक क्लर्क की भी नौकरी संभाली है। यह कुछ समय जर्नलिस्ट भी रह चुके है।

यह विद्यासागर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर थे। इन्होंने बी.ए, म. ए और एलएलबी की पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से की है। इन्होंने सुरी विद्यासागर कॉलेज में पढ़ाया है और म. ए हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस, और एलएलबी भी वहीं से की है। प्रणब मुखर्जी की विवाह सुभ्रा मुखर्जी से हुआ बांग्लादेश की रहने वाली है लेकिन ये कोलकाता बहुत पहले ही आ चुकी थी। पत्नी का देहांत हार्ट अटैक से हो गया था। उनकी आयु ७४ साल थी। प्रणब मुखर्जी पहले राज्यसभा के सदस्य थे।जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शुरू हुआ । फिर वे राज्यसभा सदस्य के रूप में 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये थे । 1923 में इंडस्ट्रियल विभाग के उप मंत्री के रूप में अपना पद संभाला था। फिर से 1982 से 1984 तक वे बहुत कैबिनेट पदों के लिए चुने गए और फिर 1984 में भारत के वित्त मंत्री का पद संभाला। वे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सके। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उस वक्त उन्होंने राजनीतिक दल राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया। पर के बाद फिर फिर से 1989 में सब कुछ ठीक होने के बाद उन्होंने फिर से अपना पूर्व पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस से जुड़ गए।उन्होंने 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के पद पर आए। 2004 में पहली बार लोकसभा सदस्य बन गए। वे वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री ,विदेश मंत्री ,परिवहन, संचार, उद्योग मंत्री जैसे कई और पदों पर रह चुके है। देश के अलावा इनका अंतरराष्ट्रीय भूमिका भी है। वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक के पार्ट रह चुके है।

भारत सरकार के फाइनेंस पर इन्होंने बहुत सारे अच्छे काम किए हैं। देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में इनका एक बड़ा हाथ है। यह का गांधी जी के शुभचिंतक माने गए हैं। इनके अंदर देश के कई सारी समस्याओं का समाधान हुआ है। प्रणब मुखर्जी को दो बेटे और एक बेटी है। भारत के यह १३ राष्ट्रपति थे।सबसे पहले 1 जनवरी 1969 से 1 फरवरी 2002 तक राज्यसभा के सदस्य थे। उसके बाद जंगीपुर में 10 मई 2004 से 26 जून 2012 तक लोकसभा के सदस्य रहे। इनके पूर्व अबुल हसन खां थे और इनके बाद अभिजीत मुखर्जी ने पद देखा। फिर ये जनवरी 1980 से 31 दिसंबर 1984 में राज्यसभा के लीडर रहे।उनके पूर्व के सी पंत थे और बाद में वी पी सिंह बने। उसके बाद वह 24 जून 1991 से 15 मई 1996 तक डेप्युटी चेयरमैन रहे। इनके पूर्व मोहन धारिया और बाद में मधु धंद्वते थे।इस समय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे।

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इसके बाद 22 मई 2004 से 26 जून 2012 तक लोकसभा के लीडर रहे ।इनके पूर्व अटल बिहारी वाजपेई थे और उनके बाद सुशील कुमार शिंदे बने।2012 से 2017 तक इन्होंने अपना राष्ट्रपति पद संभाला ।इनके समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे उसके बाद नरेंद्र दामोदरदास मोदी बने। और तभी उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी थे। इनके पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल थी और इनके बाद राम नाथ कोविंद आए। इन्होंने कई सारी किताबें भी लिखी है और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। कोरोना महामारी के काल में 10 अगस्त को भर्ती कराया गया क्यूंकि ये कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये कोमा में थे । इनका ऑपरेशन भी हुआ पर 30 अगस्त 2020 इनका देहांत हो गया।

प्रणब मुखर्जी पर निबंध 300 words

भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बारे में तो हमने सुना है। यह भारत के 13 राष्ट्रपति थे। इन्होंने प्रतिभा पाटिल को हटा कर अपनी जगह सिद्ध कि थी। प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1938 में मिराती गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम किंकर मुखर्जी तथा माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। इनके पिता भी स्वतंत्रता मूवमेंट के एक बड़े हिस्से थे, वे भी इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी से थे। ये पहले क्लर्क थे और कुछ समय लेक्चरर भी थे। इन्होंने बीए ,एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है। पहले राज्य सभा के सदस्यों ने के लोकसभा के और कुछ समय तक तो यह कांग्रेस पार्टी से निलंबित भी थे लेकिन फिर इन्होंने वह पार्टी फिर जॉइन कर ली। और उसके बाद 2012 में सात लाख से ज्यादा वोट मिलने की वजह से यह हमारे देश भारत के राष्ट्रपति चुने गए।

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2013 में इन्होंने क्रिमिनल लॉ, आईपीसी, एविडेंस लॉ, सेक्सुअल ऑफेंस और कुछ नियमों सब में बदलाव किया। इन्होंने संविधान में यह सब की बदलाव की। इन्होंने अपने समय में 24 मर्सी पेटिशन भी खारिज कि जिसमें की अफजल गुरु, अजमल कसाब जैसे कई आतंकवादियों का नाम है। 2017 में इन्होंने तबीयत खराब होने की वजह से अपना राजकोट छोड़ने का निर्णय लिया।

इन्होंने कई पद संभाले है लोकसभा, राज्यसभा के मेंबर होने के अलावा लोकसभा के लीडर, फाइनेंस मिनिस्टर, यूनियन मिनिस्टर, डिफेंस मिनिस्टर इत्यादि। 2019 में उन्हें भारत रत्न और 2008 में पद्म भूषण से ने सम्मानित किया गया। इन्होंने कई किताबें भी लिखी है जैसे बियोंड सर्वाइवल, ऑफ द ट्रेक, कांग्रेस एंड मेकिंग ऑफ इंडियन कांग्रेस, चैलेंजिस बिफोर द नेशन आदि।

10 August 2020 को इन्हे अस्पताल में भर्ती कराया गया क्यूंकि ये कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 13 अगस्त को ये कोमा में जा चुके थे। खून जमने के कारण इनका ऑपरेशन भी किया गया था लेकिन दो सप्ताह भी यह ठीक से नहीं रहे और 31 अगस्त 2020 को यह दुनिया को अलविदा कह गए।