Rath Yatra Facts: भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की कहानी हिंदी में

भगवान जगन्नाथ ji ke bare me or Jagannath mandir ke bare me bahhut sare ayese rahsayaee और रोचक तथ्य hai jinko sunko aap भगवान जगन्नाथ ke pakke bhakat banjaoge

भगवान जगन्‍नाथ ji की रथयात्रा bharat ka sabse purana tehwahro me se ek hai jo विश्‍व प्रसिद्ध रथयात्रा hai or videsho me bhi manae jati hai 

btaya jata hai ki Kumbh mela ke bad भगवान जगन्नाथ ji ke Rath Yatra dura sabse bara tahewar hota hai jisme sabse jyada bhid hoti hai

To Es post me sirf भगवान जगन्नाथ ji ki Rath Yatra ke bare me bat karenge

Fact no 1

Bhagwan Jagannath ji ki Rath Yatra kuch 500 salo se chali aarhi hai

Lekin es rath yatra ke bare me उल्लेख humare hindu Brahma Purana, Padma Purana, Skanda Purana or Kapila Samhita me bhi hai.

Bhagwan Jagannath ji ki rath yatra Asadha mahine me start hot hi jo english mahine ke june or july ke mahine me aata hai varsa ritu me.

Fact no 2

Raja shahi to india me kabhi khatam hogyi lekin abhi bhi jo puri ke raja ke wansaj hai 

sone ki jharu se safae karte hai 

fir chandan ke pani se raste ko dhote hai

Es pratha ko Chhera Panhara bolte hai

Jiske bad yatra ki suruaat hoti hai

Fact no 3

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़े के जल से स्नान कराया जाता है. इस महान अवसर को सहस्त्रधारा स्नान कहा जाता है. लेकिन इस स्नान के कारण वे सभी बीमार हो जाते हैं और जड़ी-बूटियों से उनका इलाज किया जाता है. Jiske bad जगन्नाथ जी, बलभद्र जी और सुभद्रा जी ko 14 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जाता है or 14 dino tak sabhi mandir band rheti hai fir Uske bad rath yatra nikali jati hai

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Fact no 4

रथ यात्रा की सबसे दिव्य तस्वीरों में से एक hota है जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ तीन अलग-अलग रथों पर सवार ho kar नगर भ्रमण करते हुए अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर jate hai jha wo log 9 दिनों तक रानी गुंडिचा मंदिर में रहते हैं. Or Gundicha Temple ki duri Jagannath temple se bas 3 km ki hai. Kul mila ke 11 din ki yatra hoti hai Rath Yatra ke din se Niladri Vijaya ke din tak jab 3no devi devtaon ko wapas mandir me laya jata hai.

Fact no 5

रथ यात्रा की तैयारी हर साल बसंतपंचमी से शुरू हो जाती है। भगवान जगन्‍नाथ की यात्रा के रथ ko नीम के पेड़ की lakri से बनाया जाता है। खास बात यह होती है कि इसको बनाने में किसी भी प्रकार की धातु का कतई प्रयोग नहीं होता है। रथ की लकड़ी प्राप्‍त करने के लिए स्‍वस्‍थ और शुभ पेड़ की पहचान की जाती है jo Dashpalla ke khaas jangalo se laaya jata hai. Or rath ko sirf Shrimandir ke badhee log hi banate hai. 

Fact no 6

Bhagwan जगन्‍नाथ जी ke rath ka nam Nandighosha hai 

Bhagwan जगन्‍नाथ जी ke rath me 16 पहियों hote है और इसकी ऊंचाई 44 फीट 2 inch होती है। jise bnane me 2 mahine lag jate hai.

भगवान जगन्‍नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। रथ का निर्माण कार्य अक्षय तृतीया के दिन से आरंभ हो जाता है। उनका रथ बाकी दो रथों से आकार में बड़ा होता है। इनके रथ पर हनुमानजी और नृसिंह भगवान का प्रतीक अंकित रहता है और यह रथ यात्रा में सबसे पीछे रहता है।

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Fact no 7

बलरामजी के रथ की खास बात ye hai ki बलरामजी भगवान जगन्‍नाथ जी के बड़े भाई और बड़े होने के नाते यह 3 rath ka नेतृत्‍व करते हैं। इसलिए यात्रा में इनका रथ सबसे आगे रहता है। enke rath ka nam Taladhwaja. Enke rath ki ऊंचाई 43 फुट 3 inch होती है or jisme 14  pahiye lage hote hai. इस रथ ko lal or nile rang se sajaya jata hai lekin esme में नीले hare रंग का प्रयोग प्रमुखता से किया जाता है।

Fact no 8

Ab bat kare बहन सुभद्रा ji ke रथ ki to कृष्‍ण ji और बलराम ji की लाडली बहन सुभद्रा का रथ दोनों भाइयों के सुरक्षा घेरे में रहता है। यानी सुभद्रा का रथ दोनों रथों के बीच में चलता है। Subhadra ji ke rath ka nam Devadalana hai. इसकी ऊंचाई 42 फीट 3 inch होती है or esme 12 pahiye hote hai और इसको सजाने में lal or kale rang ka use kiya jata hai lekin मुख्‍य रूप से काले रंग का प्रयोग किया जाता है।