नदी पानी का एक प्राकृतिक स्रोत है। जिससे हमें बिल्कुल साफ पानी प्राप्त होती है। नदियां हमारे लिए बहुत सहायक है। नदियां किसी के लिए नहीं रुकती है यह अपने पथ में आए हुए मुश्किलों का सामना कर हर हाल में नियंत्रण बहती ही रहती है। नदियों से हमें यह सीखने को मिलता है की परिस्थिति कैसी भी हो हमें सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। नदी के कई दूसरे नाम भी है जैसे सरिता प्रवाहहिनी इत्यादि। इसे अंग्रेजी में रिवर (river) कहते हैं। जहां से नदी शुरू होती है अर्थात जिस जगह नदी का जन्म होता है उसे उद्गम कहते हैं। जब नदी बहना शुरू करती है तब उसकी धारा को नदी घाटी कहते हैं।
नदियां पहाड़ों में जमी बर्फो के वजह से उत्पन्न होती है। जब पहाड़ों में जमी बर्फ पिघलती है तब यह झरनों या नेहरो या नदियों के रूप में उत्पन्न होना शुरु होती है। बाद में जब यह बड़े-बड़े पत्थरों और चट्टानों से टकराती हैं तब यह अपने रूख अर्थात अपने बहने का रास्ता बदल लेती है।
नदियां कितने प्रकार की होती हैं?
नदियों के दो प्रकार होते है।
- सदानीर नदियां
- बरसाती नदियां
सदानीर नदिया
सदानीर नदी यह वह नदियां हैं जिनमें पूरे वर्ष पानी रहता है। यह पूरे वर्ष भरी हुई रहती हैं। सदानीर नदियों का मुख्यतः भरे रहने का श्रोत नहरे तालाब झील होती हैं।
बरसाती नदियां
नाम से ही पता चल जाता है यह बरसात के समय भरी रहने वाली नदियां हैं। यह नदियां सिर्फ बरसात के समय ही भरी रहती हैं। बरसाती नदियों का मुख्य स्रोत एकमात्र वर्षा का जल ही है।
नदियां हमारे अच्छे दोस्त की तरह मदद करती है। यह हमेशा बहती रहती है जिसके कारण हमें जमे हुए गंदे पानी का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता यह हमें साफ और स्वच्छ पानी प्रदान करती हैं।
नदियों का जिक्र तो सदियों से है। विश्व में बहुत सी नदियां हैं जैसे गंगा यमुना कृष्णा कावेरी ब्रह्मापुत्र इत्यादि जिनका जिक्र पुराणों में भी किया गया है। इसलिए नदियों को पवित्र माना गया है। कई सारे पर्व है जैसे छठ आदि का पूजन नदियों से प्राप्त होने वाले पानी में किया जाता है। कुछ तीर्थ स्थलों में तो लोग सिर्फ नदियों की पूजा करने के लिए ही जाते हैं। तथा कुछ तीर्थ स्थलों में मंदिर के साथ-साथ नदियों का भी बहुत बड़ा महत्व है। तथा नदियों की भी पूजन आरती तथा अन्य विधि विधान भी किए जाते हैं।
नदिया हमें शुद्ध पानी तो देती ही है। साथ-साथ यह खेतों की सिंचाई में भी बहुत मदद करती है जिससे किसानों को बहुत मदद तथा लाभ प्राप्त होती हैं। नदियों के कारण बहुत सी जगहों में पानी की परेशानी से भी लोगों को मुक्ति मिली है।
नदियों में कई सारे वनस्पति जीवन शुरू होते हैं तथा कई नए-नए जीव जन्म लेते हैं। नदियों ने उन्हें रहने के लिए अपना बड़ा जल का स्रोत दे रखा है। मछली मगरमच्छ कछुआ किङे आदि नदियों में तालाबों में तथा पानी के कई और स्रोतों में पाए जाते हैं।
अब तो नदियों में कई सारे खेल भी खेले जाते हैं जैसे सी वॉलीबॉल बॉल कैचिंग ऑन वाटर आदि गेम लोग नदियों में तथा समुद्रों में खेलना पसंद करते हैं। खेल के साथ साथ नदियों में कई सारे करतब भी किए जाते हैं जैसे रिवर राफ्टिंग तैराकी सर्फिंग आदि भी नदियों में बड़े रुचि के साथ किए जाते हैं।
परंतु नदियां अब पहले जैसी स्वच्छ और साफ नहीं रही। धीरे-धीरे लोग नदियों को गंदा करते चले जा रहे हैं। यहां हमें एक दोस्त की तरह स्वच्छ पानी प्रदान करते हैं बदले में हम इसे गंदा ही गंदा करते चले जा रहे हैं। लोग कूड़ा कचरा सब पानी में डाल देते हैं। यदि लोग किसी नदी के पास पिकनिक मना रहे हैं या घूम रहे हैं तो उनके खाए जाने वाले चिप्स के पैकेट कोल्ड ड्रिंक्स के बॉटल या उनके पास जमे हुए कचड़े वह डस्टबिन में नहीं डालते सीधे पानी में फेंक देते हैं जिससे आए दिन नदिया गंदी होती जा रही है। तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित केमिकल भी नदि के पानी में मिल जाते है।जिस कारण से दिन-ब-दिन नदिया दूषित होती जा रही है। इससे प्रकृति को नुकसान तो पहुंच ही रही है साथ ही साथ हमारा भी खतरा बढ़ता चला जा रहा है। क्योंकि यदि नदिया गंदी हो गई तो जल के सभी स्रोत गंदे हो जाएंगे।
हमारी फैलाई हुई गंदगी का शिकार पानी में रहने वाले जीव भी हो रहे हैं। इस गंदगी के कारण आए दिन मछलियों तथा अन्य जीवों की मौत हो रही है। जिसके कारण पानी में रहने वाले जीव भी खतरे में आ चुके हैं। इसलिए हमें नदियों को गंदा नहीं करना चाहिए हमारे कारण कई मासूम जीवो की हत्या तो हो ही रही है साथ में प्रकृति को भी नुकसान हो रहा है। तथा हम स्वयं भी पानी को दूषित करने की वजह से दुविधा में पङ जाएंगे। इसलिए हमें नदी को साफ करते रहना चाहिए तथा इसे गंदा नहीं करना चाहिए।