कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है, ऐसे श्री कृष्ण भगवान को हम सबका प्रणाम है। जैसे ही जन्माष्टमी कब पर्व आता है। उसे भी पहले विद्यार्थियों के स्कूलों से गतिविधिया आनी शुरु हो जाती है। बड़े समझदार बच्चे तो फिर भी लिख लेते हैं।परंतु इस मामले में बच्चों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में बताना थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि इनके बड़े अजीब अजीब से प्रश्न होते हैं।जन्माष्टमी के मौके पर बच्चों के निबंध को तैयार करने के लिए माता पिता अध्यापक सब उस में लग जाते हैं कई लोग खुद सोचकर निबंध लिखते हैं तो कई लोग सोशल मीडिया की मदद से निबंध के कार्य को पूरा करते हैं।तो आइए आज बच्चों की नटखट और सबके दुलारे श्री कृष्ण के बारे में बात करते हैं तथा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में बताते हैं।
जन्माष्टमी हिंदुओं का पर्व है।खासकर ये सनातन धर्म का सबसे प्रमुख त्यौहार है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत में एक विशेष महत्व है। इसे देश के कोने कोने में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। देश के प्रतेक राज्य में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। बांग्लादेश में तो इस पर्व को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रीय छुट्टी भी दी जाती है।
इस पर्व को श्री कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह भाद्र पद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। क्योंकि श्री कृष्ण का जन्म इसी समय रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि को अपने मामा कंश के कारागृह में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री विष्णु ने श्री कृष्ण बनकर अपना आठवां अवतार लिया था।
इस उत्सव पर लोग पूरा दिन व्रत रखते हैं।अपने घरों में बालकृष्ण की प्रतिमा की पूजा की करते हैं। कई लोग मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं। उन्हें माखन, फल, दूध, दही,पंचामृत, हलवे, मेंवे तथा अलग-अलग तरह के पकवानों का भोग भी लगाया जाता है। मुख्यता इस पर्व मे पूजा के लिए खीरे और चने का एक विशेष महत्व है।यदि कोई व्यक्ति पूरे विधि विधान से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा अर्चना करता है। तो बदले में उसे वैकुंठ धाम (श्री विष्णु का निवास स्थान) जाने का मौका मिलता है। तथा उसे मोक्ष की भी प्राप्त होती है।
श्री कृष्ण को द्वपर युग का योग पुरुष भी कहा जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर मंदिरों या घरों में पंडाल लगाई जाती हैं। बाल श्री कृष्ण को नहला कर नए-नए वस्त्र तथा आभूषण पहनाया जाता है।श्री कृष्ण को झूले पर विराजा जाता है।तथा सभी औरतें बारी-बारी से बाल कृष्ण की मूर्ति को अपनी गोद में लेकर उसे खूब सारा लाड प्यार करती है। इस दिन घर वह मंदिरों में अलग चहल पहल देखने को मिलती है। इस दिन बाल भोज की व्यवस्था तथा बाल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।कई जगह पर छोटे बच्चों को राधा और कृष्ण की तरह सजाया भी जाता है। इस दिन मंदिरों में श्रीकृष्ण की कहानियां उनकी कथाएं सुनने को मिलती है।कहीं जगहों पर गाजे बाजे के साथ भजन कीर्तन व गीतो का भी आयोजन किया जाता है। यह विश्व में एक बहुत ही विख्यात त्यौहार है। इसलिए इसे बड़े धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।