आज हम बात करेंगे एक ऐसे व्यक्ति की जिनका जीवन हमें सदैव प्रेरणा देता है। उनका कहना था कि “इंतजार करने वालों को उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं”। उन्होंने बताया कि हमें सदैव मेहनत करनी चाहिए तथा उनके जीवन से हमें बहुत सीख मिलती है। यह वैज्ञानिक, राष्ट्रपति, प्रोफेसर, इंजीनियर, लेखक भी रह चुके हैं। जी हां मैं बात कर रही हूं ए पी जे अब्दुल कलाम की इनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुअलब्दीन अब्दुल कलाम है। इन्होंने बचपन से ही बहुत संघर्ष किया है तथा यह बहुत ही मेहनती थी आइए शुरू करते हैं इनकी कहानी इनके बचपन से
कलाम एक तमिल मुस्लिम परिवार से थे। वे रामेश्वरम में रहते थे। इनके पिता का नाम जैनुअलब्दीन था। इनके पिता मस्जिद के इमाम व एक कश्ती के मालिक थे। वह कश्ती चलाते थे। वे रामेश्वरम से भक्तों को धनुष्कोड़ी और धनुषकोडी से रामेश्वरम लेकर आते जाते थे। कलाम की माता का नाम अशीअम्मा था। वह एक साधारण गृहणी थी।
जब पवन पुल का निर्माण हुआ तब इनके पिताजी की कश्ती से लोगों को लाने ले जाने वाला काम बिल्कुल बंद हो गया था। जिसके बाद इन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कलाम का जन्म तब हुआ जब उनका परिवार पूरी तरह गरीबी से जूझ रहा था। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। जिसके बाद इन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कलाम ने काफी छोटी उम्र में अखबार बैठकर अपने पिता की घर चलाने में सहायता की थी।
वहां अपने स्कूल में परीक्षा में सामान्य बच्चों की तरह ही अंक प्राप्त करते थे परंतु शिक्षक हमेशा ही उनकी प्रशंसा करते थे और उन्हें एक मेहनती छात्र बताते थे। बचपन में जब वह रामेश्वरम में रहते थे। तब वह अक्सर नमाज पढ़ने के बाद राम मंदिर जाया करते थे। हिंदू लोग एक सफेद टोपी वाले मुस्लिम लड़के को राम मंदिर में देखकर बड़े हैरान होते थे। परंतु वह हमेशा राम मंदिर जाया करते और वहां हो रहे भजन को बड़ी ध्यान से सुनते थे। वह कहते थे कि उन्हें भजन का एक भी शब्द समझ नहीं आता था परंतु वह धुन उन्हे बहुत अच्छी लगती थी। उन्हे इस धुन में एक जादू सा आनंद प्राप्त होता था।
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह तिरुचिरापल्ली चले गए। वहां उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स लेकर अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी। उन्होंने 1964 में अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर ली थी। 1955 मैं कलाम ने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नामक इंस्टिट्यूट से एरो स्पेस इंजीनियरिंग बनने की तैयारी शुरू की थी। 1960 में मैं उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैं अपनी पढ़ाई खत्म कर एरोनर्टिकल डेवलपमेंट establishment के रूप में जुड़ गए।
कलाम इन कौशल कमिटी में शामिल हुए वहां उन्होंने विक्रम साराभाई के साथ काम किया 1969 मैं कलाम इसरो से जुड़ गए वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने सेटेलाइट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम किया था कलाम ने अपनी अगली प्रोजेक्ट रॉकेट पर काम करना शुरू किया और भारत सरकार द्वारा उन्हें 1969 मैं अपनी प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति प्राप्त हो गई तथा इस प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार ने एक टीम तैयार किया था 1963 में वह नासा से जुड़ गए थे।
वहां उन्होंने मिसाइल भी बनाई उन्होंने परमाणु परीक्षण प्रोजेक्ट डेविल प्रोजेक्ट वेलियंट जैसे प्रोजेक्टो पर भी काम किया था और उन्हें सफल बनाया था भारत सरकार ने उच्च मिसाइल प्रोजेक्टों पर कलाम से काम करने का आग्रह किया था। पृथ्वी मिसाइल और अग्नि मिसाइल बनाने में कलाम का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पृथ्वी मिसाइल और अग्नि मिसाइल बहुत चर्चित रही थी क्योंकि को बनाने में काफी समय लगा था तथा खर्च भी काफी हुई थी।इसलिए इन्हे भारत देश का मिसाइल मैन भी कहा जाता हैं।
1992 से एक 999 कलाम की साइंटिफिक एडवाइजर थे। इस समय उन्होंने पोखरण थर्मल बोम्ब का परीक्षण भी किया था। परंतु यहां एक असफल परीक्षण बताया दिया था किंतु बाद में यह सिद्ध हुआ कि यहां बात बिल्कुल गलत है वह परीक्षण अच्छे से हुआ था तथा असफल वाले कागजों को खारिज कर दिया गया था।
10 जून 2002 को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) की तरफ से उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था।इस बात का समर्थन अंय कई सारी पार्टियों ने भी किया था। फिर चुनाव हुआ और उन्हें अच्छी बहुमत हासिल हुई थी और उन्होंने जी प्राप्त की थी वे भारत देश के 11 वे राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने अपना काम बहुत बखूबी निभाया था तथा वहां जनता के राष्ट्रपति नाम से भी काफी चर्चित थे।
जब उनके 5 साल राष्ट्रपति बनने खत्म हो गया थे तब वह दुबारा राष्ट्रपति पद के लिए खड़ी होना चाहते थे। परंतु ठीक उसके दो दिन बाद ही उन्होंने फैसला किया कि वे चुनाव में नहीं खड़े होंगे। इसके बाद वे शिलांग अहमदाबाद तथा इंदौर के IIM के विजिटिंग प्रोफ़ेसर बने थे। बाद में अन्ना यूनिवर्सिटी के एरोस्पेश प्रोफ़ेसर बने और उन्होंने ऐसे कई इंस्टिट्यूट में काम किया था।
उन्हे भारतरत्न, पदमविभूषण, रामानुजन अवॉर्ड, पदमाश्री जैसे कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
2012 में उन्होंने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक आंदोलन किया जिसका नाम “What Can I Give Movement” था। इस आंदोलन का निर्माण उन्होंने युवाओं के लिए किया था।
कलाम ने काफी सारी किताबें लिखी थी जैसे आरोहण, टर्निंग प्वाइंट, हमारे पथ प्रदर्शक जैसी 61 किताबें लिखी थी। इनमें से इंडिया 2020, अग्नि के पंख, इगनिटेड माइंड उनकी मुख्य किताबे रही है।
27 जुलाई 2015 में कलाम को शिलांग में एक भाषण देना था जिसका शीर्षक क्रिएटिंग लियाबल प्लेनेट अर्थ था।(Creating Liable Planet Earth)। यह भाषण उन्हें IIM शिलांग में देना था वह वहां के विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं। जब वे सीढ़ी चढ रहे थे तब उनकी तबीयत थोड़ी बिगड़ने लगी थोड़ी देर आराम करने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि वह भाषण देंगे।
6:30 बजे उन्होंने अपना भाषण शुरू किया और ठीक उसके 5 मिनट बाद वे गिर पड़े उन्होंने अपने आखिरी शब्द श्री जनपाल से कहा था। गिर पड़ने के कारण उन्हें तुरंत ही बेथनी अस्पताल शिलांग में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद 7:45 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था।
कलाम की जीवनी से हमें बहुत सीख मिलती है। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्होंने कभी कोशिश करना बंद नहीं किया तथा इतने बड़े मकाम को हासिल किया था।
Abdul Kalam ji bahut hi ache neta the unka koi dusman hai tha.