भारत के राष्ट्रीय प्रतीक की सूची | National Symbols of India in Hindi

राष्ट्रीय पहचान तत्व: किसी भी राष्ट्र का अपना राष्ट्रीय प्रतिक होता है और यह उस राष्ट्र के इतिहास, विभिन्न संस्कृति और सभ्यता का प्रतिबिंब होता है। और यह कहना ग़लत नहीं होगा कि राष्ट्रीय प्रतिक हर राष्ट्र को एक दूसरे राष्ट्र से अलग पहचान और छवि बनाता है। भारत का राष्ट्रीय प्रतिक भी प्रतिबिंब है उसके गौरवपूर्ण इतिहास, विभिन्न संस्कृति और विविधत वर्ग के लोगों का जो एक साथ प्यार और खुशी से रहते हैं।

राष्‍ट्रीय ध्‍वज – तिरंगा

तिरंगा को भारत के राष्ट्रीय ध्‍वज के रूप में 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान के द्वारा अपनाया गया था। यह तिरंगा तीन रंगों में समान अनुपात में केसरिया, सफेद और हरे रंग की क्षैतिज पटरियां होती है। इसी तीन रंगों की वजह से इसे तिरंगा कहते हैं। इन तीनों रंगों का कुछ महत्वपूर्ण अर्थ होता है जैसे केसरिया रंग त्याग और बलिदान, सफेद रंग सत्य, शांति और पवित्रता और हरा रंग देश की समृद्धि और उर्वरता का प्रतिक है। ध्‍वज के बीच में सफेद रंग का पट्टी होता है, जिससे नीले रंग का चक्र बना होता और इसमे 24 तीलियां होती है । यह धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है और यह सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है। 

राष्‍ट्रीय पुष्‍प – कमल

भारत का राष्‍ट्रीय पुष्‍प कमल है और इसका वैज्ञानिक नाम नील्यूम्बो न्यूसीफेरा है। यह फुल भारत में प्रचीन काल से महत्वपूर्ण रहा है। यह फुल वर्तमान समय से लेकर भविष्य समय तक हमारे बहुत सारे धार्मिक और सांस्कृतिक पुजा अर्चना में उपयोग किया जाता आ रहा है। कमल उवर्रकता, अच्छी किस्मत और अच्छे दिल का प्रतिक है। यह फुल वर्तमान में उपलब्‍ध डाटा वनस्‍पति विविधता के हिसाब से इसका विश्‍व में दसवां और एशिया में चौथा स्‍थान है।

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राष्‍ट्रीय पक्षी- मोर

भारत केवल पेड़ -पौधो से नहीं बल्कि पशु-पक्षियों का देश है। यहां का राष्‍ट्रीय पक्षी- मोर है। इस पक्षी भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) की धारा 1972 के आधार पर सुरक्षा प्रदान किया गया है। माना जाता है कि हिन्दू धर्म में यह पक्षी भगवान कार्तिकेय के प्रिय वाहन है और बहुत पुजनीय है और ईसाई धर्म में यह पुनर्जागरण का प्रतिक है। मादा मोर से ज्यादा सुंदर और रंगीन नर मोर होता है । नर मोर थोड़ा छोटा और कम पंखों वाला होता है।

राष्‍ट्रीय पेड़ – बरगद

बरगद भारत का राष्ट्रीय पेड़ का प्रतिक है। इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बैंगा‍लेंसिस है। यह पेड़ भारत के हर कोने में पाया जाता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसके विशाल शाखाओं के नीचे समय बीतना पसंद करते हैं। यह पेड़ अपनी रसियनीक गुणवत्ता और अनश्वरता (लंबे जीवन काल) विशेषताओं के लिए जाना जाता है।

राष्‍ट्रीय चिन्ह – अशोक स्तम्भ

26 जनवरी 1950 को जब भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बना था, उसी दिन अशोक स्तम्भ को भारत के राष्‍ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया था। सारनाथ में सम्राट अशोक के द्वारा बनावाया गया अशोका पीलर को राष्‍ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया गया है। यह एक ही पत्थर से बना हुआ हैं। इस अशोक स्तम्भ में चार शेर जो अलग अलग दिशा में मुंह करके बैठ हुआ है।  चार शेर के नीचे गोलाकार आधार है जो उल्टे कमल के रूप में बना हुआ है। धर्म चक्र केंद्र में दिखाई देता है, सांड दाहिनी ओर और दोडता घोड़ा बायीं ओर दिखाई देता है और उसके साथ ही साथ हाथी और सिंह बना हुआ है। इन सभी जानवरों के बीचों बीच एक एक चक्र बना हुआ है। प्रतीक के नीचे सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में लिखा हुआ है। शब्‍द सत्‍यमेव जयते शब्द मुंडकोपनिषद से लिए गए हैं, जिसका अर्थ है केवल सच्‍चाई की विजय होती है।

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राष्‍ट्रीय पशु – बाघ

बाघ की अत्यंत शक्तिशाली, मज़बूती, तेज़ फुर्ती और शक्ति के कारण राष्‍ट्रीय पशु का प्रतिक है। इसकी मोटी पीली गहरी धारीदार पट्टियां होती हैं। इस विलुप्त हो रहे बाघ के संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा बहुत योजना पर काम किया जा रहा है

राष्‍ट्रीय मुद्रा चिन्ह – रुपया

रुपया भारत का राष्‍ट्रीय मुद्रा चिन्ह रुपया है। रुपए का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के अक्षर ‘आर (R)’ को मिला कर बना है, (₹) जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है। यह रेखा हमारे राष्ट्रध्वज तथा बराबर (=) के चिन्ह को प्रतिबिंबित करती है। भारत सरकार ने 15 जुलाई 2010 को इस चिन्ह को स्वीकार कर लिया है।

राष्‍ट्रीय गीत – वन्दे मातरम्

वन्दे मातरम् को राष्‍ट्रीय गीत के रूप में 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया था। इस गीत को बंकिमचंद्र चटर्जी की रचना “आनंद मठ” से लिया गया है और यह पुर्न रूप से संस्कृत में लिखा हुआ है। इस गीत की महत्वता राष्ट्रीय गान के बराबर है।

राष्‍ट्रीय गीत – वन्दे मातरम की पहला अंतरा

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

राष्‍ट्रीय गान – जन गण मन

जन-गण-मन 26 जनवरी 1950 को जब भारत एक गणतंत्र राष्ट्र की घोषणा किया गया था, थीक इसके दो दिन पहले 24 जनवरी 1950 को जन-गण-मन को राष्‍ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया था। इस राष्ट्रीय गान को रबीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा लिखा गया है। इस गान को स्वतंत्र दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर राष्ट्रीय तिरंगा को खा कर सम्बोधित किया जाता है। राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है, और इसकी कुल समय लगभग 52 सेकंड है।

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जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता,
पंजाब-सिंधु गुजरात-मराठा,
द्रविड़-उत्‍कल बंग,
विन्‍ध्‍य-हिमाचल-यमुना गंगा,
उच्‍छल-जलधि-तरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा,
जन-गण-मंगल दायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

राष्‍ट्रीय फल- आम

आम फलों का राजा के साथ साथ भारत का राष्ट्रीय फल भी है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 100 से भी ज्यादा प्रजाति के आम पाया जाता है। यह फल काफी रसदार और बहुत मीठा होने के साथ-साथ विटामिन ए, सी तथा डी का सबसे अच्छा स्रोत हैं। आम एक एसा फल है, जो लम्बे अरसे से भारत में व्यापार किया जा ने वाला फल हैं।

राष्‍ट्रीय खेल- हांकी

भारत के खेल मंत्रालय के द्वारा आधिकारिक रूप से कोई भी राष्ट्रीय खेल की घोषणा नहीं किया गया है लेकिन हांकी को राष्ट्रीय खेल होने का प्रमाण सरकारी वेबसाइट पर मिलता है।

राष्‍ट्रीय नंदी – गंगा

गंगा भारत की सबसे बड़ी और पुरानी नदी है। इस नंदी को राष्ट्रीय नंदी का मान्यता प्राप्त है। भारत के वेदों और पुराणों में गंगा नंदी के पानी की पवित्रता का जिगर किया गया है। हिन्दू धर्म के आधार पर माना जाता है कि, इस नदी में स्नान करने से चरम रोग और अन्य रोग ठीक हो जाता है।

राष्ट्रीय जलीय जीव – डॉलफिन

भारत के गंगा नदी में पाय जाने वाली जलीय जीव डॉलफिन को राष्ट्रीय जलीय जीव का प्रतीक है। डॉलफिन एक एसा जलीय जीव है जो गंगा नदी में विलुप्त के कगार पर है इसलिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के द्वारा गंगा नदी में पाय जाने वाली डॉलफिन को राष्ट्रीय जलीय जीव के रूप अंगीकृत पर विचार किया गया। इसी के बाद, 18 मई 2010 को पर्यावरण और वन मंत्रालय विभाग द्वारा डॉलफिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषणा किया गया। इसके संरक्षण के लिए बहुत योजना पर भारत सरकार द्वारा काम किया जा रहा है।