हिंदी कविता

आया मानसून झूम के- बकौल घाघ

शुक्रवार की बादरी, रही शनिचर छाय।घाघ कहै सुन घाघिनि, बिन बरसे नहीं जाए।। ये घाघ है। सही समझे आप,वही छपरा वाले, अकबर के समकालीन, जो बाद में कन्नौज जाकर बस गए और जिनकी मौसम की समझ और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर अकबर ने ‘घाघसराय’ नामक जगह बसा दिया। मौसम पूर्वानुमान में भले ही IMD(Indian Metrologicial […]

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प्रेमी साथी के लिए जन्मदिन मुबारक (हैप्पी बर्थडे) पर हिंदी कविता

तेरे जन्मदिन पर तुझे एक पैगाम भेज रही हूंतू सदा खुश रहे रब से ऐसी दुआ कर रही हूं यूं तो तेरा हर दिन हंसी खुशी में बीतता हुआ चला जाएलेकिन तमन्ना है कि आज का दिन कुछ यादगार बन जाए तेरी मुस्कुराहट से मेरी बुझी हुई दीप जल जाती हैतेरे होने से ही मेरी

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सोच…एक कविता

क्या रोता है पगले अपनी किस्मत पर.अगर नहीं रोता इंसानो की इस जुर्रत पर, कही लूट-पाट कही छेर-छार,जहाँ आच आती है बहु बेटियों की इज्जत पर,क्या रोता है पगले अपनी किस्मत पर। कही भूख अकाल गरीबी है,कही कपट आतंक फरेबी है,कतारें लगती है यहाँ मस्जिदों और मंदिरों पर,क्या रोता है पगले अपनी किस्मत पर। माना

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समय की पाठशाला (एक मज़ेदार कविता)

आओ आज समय की बात करता हूं,बातों-बातों में दिन को रात करता हूं,आओ आज समय की बात करता हूं। जो इसे खर्च करे वो खुद खर्च हो जाते है, कई महल हुए खँडहर तो कई खेत बंजर हो जाते है,ये ना कभी रूका है ना कभी रूकेगा दोस्त, कई बसंत हुए पतझर और कई जवान

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“इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं” ओम प्रकाश आदित्य जी की कविता

ओम प्रकाश आदित्य जिनका जन्म हरयाणा के गुरुग्राम में 5 नवंबर सन 1936 को हुआ था। ओम प्रकाश जी दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षक थे जो मजाकिया और व्यंग्यात्मक हिंदी कविताओं के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने 1970-80 के दशक में दूरदर्शन के ‘हास्य कवि सम्मेलन’ से प्रसिद्धि हासिल की। उनके प्रसिद्ध कवितावो में से

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“हम हार नहीं मानेंगे” नेपोटिज्म के खिलाफ भारत पर मनोज मुंतशिर की हिंदी कविता

उत्तर प्रदेश के अमेठी आने वाले मनोज शुक्ला, जिन्हें लोग प्यार से मनोज मुंतशिर भी बुलाते है जो एक भारतीय गीतकार, टेलीविजन स्क्रिप्ट और बड़े पटकथा लेखक भी हैं। सुशांत सिंह राजपुत की मौत की घटना के बाद देश में nepotism पर चर्चा शुरू हो गई है। मनोज शुक्ला उर्फ़ मनोज मुंतशिर “हम हार नहीं

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