आया मानसून झूम के- बकौल घाघ
शुक्रवार की बादरी, रही शनिचर छाय।घाघ कहै सुन घाघिनि, बिन बरसे नहीं जाए।। ये घाघ है। सही समझे आप,वही छपरा वाले, अकबर के समकालीन, जो बाद में कन्नौज जाकर बस गए और जिनकी मौसम की समझ और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर अकबर ने ‘घाघसराय’ नामक जगह बसा दिया। मौसम पूर्वानुमान में भले ही IMD(Indian Metrologicial […]
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