हॉकी खेल पर निबंध | Essay on Hockey in Hindi

हॉकी दुनिया के सबसे प्राचीनतम खेलों में से एक है , जिसमें दो पक्ष एक दूसरे के विरुद्ध खेलती है। दोनों ही पक्षों में खिलाड़ियों की संख्या 11 – 11 होती हैं। जिसे लकड़ी या किसी सख्त वस्तु की बनी स्टिक से खेलते हैं और इसमें गेंद भी होती है जोकि कठोर प्लास्टिक या रबड़ की बनी होती है। दोनों विरोधी पक्षों का ध्यान गेंद को हॉकी स्टिक के सहारे नेट या गोल करना होता है।

हॉकी की शुरुआत 4000 ईसा पूर्व मिस्र में शुरू हो चुकी थी। यह खेल भारत में 150 सालों से खेली जा रही है। हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। कई जगहों पर होगी बर्फ में भी खेली जाती है जिससे आइस हॉकी के नाम से जाना जाता है। हॉकी भारत में आजादी से पहले से ही खेला जाता है और इसका विस्तार का श्रेय भी भारत को ही जाता है।

कई जगहों पर इससे इंडोर गेम के तौर पर भी खेला जाता है, जिसमें खिलाड़ियों की संख्या दोनों ही पक्षों में 6 – 6 होती है। यह खेल 1971 में विश्व कप के तौर पर भी खेला गया। इसे अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं जैसे ओलंपिक , एशियन कप , यूरोपीयन कप में भी शामिल होने का मौका मिला है।

हॉकी के अलग-अलग रूप नाम:-

मैदानी हॉकी, आइस हॉकी, स्लेज हॉकी, रोलर हॉकी, सडक हॉकी, एअर हॉकी, बीच हॉकी, बोल हॉकी, बौक्स हॉकी, डेक हॉकी, फ्लोर हॉकी, फुट हॉकी, जिम हॉकी, मिनी हॉकी, रॉक हॉकी, पौंड हॉकी, पॉवर हॉकी इत्यादि।

नियम:-

लंदन के टेडिंगटन क्लब के अनुसार कुछ मुख्य नियम जिनमें हॉकी स्टिक को कंधे से ऊपर ले जाना सख्त रूप से प्रतिबंध है। हॉकी की गेंद को शरीर के किसी भी अंग से रोकना वर्जित है। खिलाड़ी को हॉकी के गेंद को तेजी से ऊपर उछलने पर भी सख्त पाबंदी रखी गई है। इस खेल के अनुसार पांच खिलाड़ी फ़ॉरवर्ड, तीन हाफ़बैक, दो फुलबैक और एक गोलकीपर होते हैं। इन सबके अतिरिक्त मैदान में एक रेफरी भी निर्णायक के तौर पर मौजूद रहता है। इस खेल में 35 मिनट के दो भाग होते हैं और कुछ देर का अंतराल भी होता है।

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खेल में होने वाली गेंद की परिधि 30 सेमी होती है हॉकी स्टिक की लंबाई लगभग 1 मीटर और 340 से 790 ग्राम तक वजन होनी चाहिए। गोलकीपर को मोटे पर हल्के पैड पहनने की इजाजत है ताकि वह गेंद से होने वाली चोट से बच सके। गोलकीपर को 30 गज के भीतर ही रहने की इजाजत है। हॉकी के खेल को बीच में नहीं रोका जा सकता है वह तभी रुकता है जब किसी खिलाड़ी को चोट लगी हो। गोलकीपर ही गोल बचाने ने अपने शरीर की मदद से गेंद को रोक सकता है अन्यथा कोई भी दूसरा खिलाड़ी अपने शरीर की मदद से गेंद को नहीं रोक सकता है उसे केवल हॉकी स्टिक से ही गेंद को रोकने की इजाजत है। खिलाड़ी हॉकी स्टिक की चपटी छोड़ से गेंद को रोकने की अनुमति है।

हॉकी के खेल को चकोर मैदान में खेला जाता है, जिस का मापन 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है। गोल की चौड़ाई 3.66 मीटर व ऊँचाई 2.13 मीटर होती है। मैदान के बीच में एक केंद्रीय रेखा होती है, उसके अतिरिक्त 22.8 मीटर की दो अन्य रेखाएँ भी होती हैं। हॉकी में प्रयोग होने वाले जरूरी किट जैसे में हैलमेट, नेक गार्ड, कंधे के पैड, घुटनों के पैड, कोहनी के पैड और हॉकी स्टिक और गेंद इत्यादि इस्तेमाल आते हैं।

हॉकी की इतिहास:-

हॉकी बहुत ही प्राचीनतम खेल का माध्यम है, यह माना जाता है कि 2000 ईशा वर्ष पूर्व से ही इस खेल को खेला जा रहा है। यह खेल संसार में जैसे-जैसे आधुनिकता आई वैसे ही वैसे इस खेल के कुछ ना कुछ परिवर्तित होते ही आए हैं। इस खेल का विस्तार यूनानीयों(ग्रीस) के द्वारा हुआ है। बाद में रूम के देशवासियों में भी इसका रुझान बढ़ा है। 19वीं सदी में हॉकी की विस्तार का श्रेय भारत में अंग्रेजों को ही जाता है। हॉकी का खेल एशिया में भारत में पहली बार खेला गया। 1932 के ओलपिंक में हुए 37 मैचों में भारत द्वारा किए गए 330 गोल में ध्यानचंद ने अकेले 133 गोल किए थे। ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर भी कहा जाता है । भारत में ध्यानचंद के जन्मदिवस पर ही भारत का खेल दिवस मनाया जाता है।

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भारत में हॉकी का इतिहास :-

भारत में हॉकी अंग्रेजी सेना के वजह से विस्तार हुआ सर्वप्रथम इसके टीम का संगठन कोलकाता बंगाल से शुरू हुआ। 1928 में सर्वप्रथम भारतीय हॉकी ओलंपिक में शामिल हुआ और वहां अपनी जीत भी हासिल की। 1932 में भारतीयों ने लॉस एंजिल्स में 24 -1 से मेजबान टीम को हराया। 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारतीयों ने जर्मनी को हरा कर स्वर्ण पदक जीता। उस समय के रूपसिंह और ध्यानचंद हॉकी के प्रचलित खिलाड़ी थे।

भारतीय हॉकी ने 1928 , 1932 और 1936 में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर हैट्रिक हासिल की हुई है। 1928 – 1956 भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग भी कहा गया है, उसी दौरान भारतीय हॉकी टीम ने 6 बार ओलंपिक गेम में स्वर्ण पदक से जीतकर रिकॉर्ड बनाया है। उस युग में भारतीय हॉकी ने 24 ओलंपिक मैच खेलें और सभी में जीत हासिल कर 178 गोल दागे हैं।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारतीय हॉकी टीम बलबीर सिंह के नेतृत्व में खिलाड़ियों ने 38 गोल दागे। और सेमीफाइनल में जर्मनी के खिलाफ और फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ टीम को संघर्ष करना पड़ा। 1960 में पाकिस्तान ने फाइनल में 1 – 0 से भारत को हराकर स्वर्ण पदक जीता गया। 1964 में भारत ने टोक्यो ओलंपिक में पाकिस्तान को हराया। पहली बार 1968 के मेक्सिको ओलंपिक में नहीं पहुंच सका। धीरे धीरे भारत में हॉकी का पतन होने लगा और इसे कोई भी रोक नहीं सका।
1980 में भारत ने मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक से जीत हासिल की और देश का सिर ऊंचा किया। और फिर 1998 में भारतीय हॉकी ने एशियाई खेल में स्वर्ण पदक जीता।

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भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ियों के नाम:-

• मेजर ध्यानचंद
• बलबीर सिंह सीनियर
• लेस्ली क्लॉडियस
• उधम सिंह
• धनराज पिल्लै

दुनिया भर में हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी:-

  1. ध्यानचंद (भारत)
  2. रिक चार्ल्सवर्थ (ऑस्ट्रेलिया)
  3. पॉल लिटजेंस (नीदरलैंड)
  4. सोहेल अब्बास (पाकिस्तान)
  5. टुन डे नूइजर (नीदरलैंड)

निष्कर्ष:-

हॉकी खेल बहुत ही रोमांचक खेल है। भारत देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी को माना तो जाता है लेकिन पिछले कुछ दशकों से इस पर ना तो किसी का ध्यान जाता है और ना ही इसे कोई खेलता है। एक समय हुआ करता था जब भारत हॉकी में कई रिकॉर्ड बनाता था उस दौर को इतिहास में स्वर्णिम युग के नाम से भी विख्यात है। परंतु राष्ट्रीय खेल होने के बावजूद भी लोग इसे भूल रहे हैं। यह खेल कठिन जरूर है पर बहुत ही रोमांचक भी है। तथा इसमें गौरव और यस भी खिलाड़ियों को मिलता है तथा देश का नाम भी ऊंचा होता है। अंत में मैं यही कहना चाहूंगा की लोग जिस तरह से अन्य खेलों को महत्व दे रहे हैं उसी तरह हमारा यह दायित्व होता है कि हम अपने राष्ट्रीय खेल को और भी गौरव प्रदान करें।