भारत देश का एक प्रसिद्ध राज्य है, बिहार। जहां तरह-तरह के उत्सव बहुत धूम-धाम से मनाए जाते हैं। हालांकि भारत में त्योहारों का प्रचलन प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। ना जाने ज़िन्दगी कितनी उदासीन होती यदि ये पर्व-त्योहार ना होते। सभी राज्यों के कुछ खास पर्व, खेल, नृत्य और भाषाएं होती हैं, जिनकी उत्पत्ति उसी राज्य से होती है।
एक नज़र बिहार के कुछ खास पर्वों पर डालते हैं, जो यहाँ के कुछ महत्वपूर्ण त्योहारों में शामिल है। ये पर्व कुछ इतने खास हैं कि अन्य राज्य के लोग भी इसका अनुसरण करने लगे हैं या युं कहें की इनका विस्तार काफी अच्छा हो रहा है।
छठ पूजा
बिहार को अक्सर लोग छठ पूजा की वजह से भी जाना करते हैं। इस पर्व में सूर्य की उपासना की जाती है। यह पर्व ४ दिनों का होता है जिसमें पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना,तीसरे दिन पहला अर्ध्य और चौथे दिन उदयीमान अर्ध्य होता है। खरना में प्रसाद खाने के उपरांत पर्व करने वाले ३६ घंटे तक निर्जला उपवास रखते हैं।
नागपंचमी
जैसा कि पर्व के नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि नाग और पंचमी के मिलाप से यह पर्व मनाया जाता है। जी हां,सावन माह के शुक्ल पक्ष के पंचमी को यह पर्व मनाया जाता है जिसमें लोग नाग देवता की पूजा करते हैं। अपने घरों में नीम के पत्तों को लगाते हैं। इसके साथ कई लोग अपने घरों को पंचगव्य से शुद्ध भी करते हैं।
श्रावण मेला
हर वर्ष सावन में बिहार के लोग कांवर लेकर देवघर जाते हैं। यहाँ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ (बाबाधाम) का मंदिर है। सुल्तानगंज से बाबाधाम लगभग १०८ किलोमीटर की दूरी पर है। बोल बम का नारा लगाते हुए १०८ किलोमीटर पैदल चल कर लोग बाबा के दर्शन करते है और जलार्पण करते हैं।
मलेमास मेला (राजगीर)
नालंदा में स्थित राजगीर बहुत ही प्रसिद्ध जगहों में से एक है। राजगीर में मलेमास मेला बेहद प्रसिद्ध है।एक माह को मलेमास कहा जाता है और एक महीने तक यहां यह मेला लगता है। देश विदेश के लोग भी यहां देवी देवताओं के दर्शन करने पहुंचते हैं।
जिउतिया
यह एक बहुत बड़ा पर्व है जिसमें हर मां अपने बच्चों के लिए निर्जला उपास रखती है। इस पर्व को मनाने का एक उद्धेश यह भी है कि उनकी वंश सुचारू रूप से चलती रहे, यही प्रार्थना हर मां उस दिन करती है।
तिज
यह पर्व सिर्फ महिलाएं मनाती हैं अपने पतिदेव के लिए। महिलाएं इस दिन निर्जला उपास रखती हैं और अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र की मनोकामना करती हैं।
रक्षा बंधन
यह पर्व बहने अपने भाई के लिए करती हैं।इस दिन बहने अपनी भाई के कलाई में राखी बांधती हैं। राखी के प्रचलन के पहले लोग मौली धागा बांधा करते थे जो की आज भी पवित्र माना जाता है।
मकर सक्रांति
हर वर्ष १४ जनवरी को यह पर्व मनाया जाता है। इसे दही चुरा पर्व भी कह सकते हैं क्यूंकि इस दिन लोग दही चुरा और तिलकुट खाते हैं।
रामनवमी
यह हिन्दुओं का एक बहुत बड़ा त्योहार है। भगवान राम जी के जन्म के शुभ अवसर पर लोग इस पर्व को बड़े ही हर्षो और उत्साह के साथ मनाते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी (बेगुसराय)
कृष्ण कन्हैया के जन्म के शुभ अवसर पर यह पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। हालांकि यह पर्व विभिन्न राज्यों में भी मनाया जाता है लेकिन बिहार के बरौनी में जन्माष्टमी के अवसर पर ४ दिनों के मेला का आयोजन होता है।