नेतृत्व नेता का स्वभाव और कर्तव्य होता है। नेतृत्व से नेता की पहचान होती है। नेतृत्व की क्षमता नेता बनाता है एक सरल व्यक्ति जो कि धनवान ना हो परंतु अगर उसमें लोगों का नेतृत्व करने की क्षमता है तो वह नेता कहलाता है। नेतृत्व व्यक्ति के कौशल उसकी निष्ठा तथा ईमानदारी पर टिका होता है। विश्व का प्रत्येक मनुष्य नेता होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन काल में कुछ न कुछ कार्य करता अथवा करवाता है। जिस कार्य को उस व्यक्ति की देखरेख में पूरा किया जाता है वह व्यक्ति उस कार्य का नेतृत्वकर्ता माना जाता है।
नेतृत्व का मतलब सिर्फ राजनीतिक तथा प्रशासनिक स्तर पर कार्य से नहीं है बल्कि किसी भी क्षेत्र में अपनी बातों से लोगों को अपने वश में करना तथा उन्हें भरोसा दिलाना जो व्यक्ति इस कार्य करने में सक्षम है उसमें नेतृत्व की क्षमता होती है जो कि एक नेता में अवश्य तथा स्वाभाविक गुण है। नेतृत्व एक कला है एक विचार है यह एक पहचान है। एलन कीथ गेनेटेक के अनुसार “नेतृत्व वह है जो अंततः लोगों के लिए एक अच्छा मार्ग बनाना जिसमें लोग अपना योगदान देकर कुछ असाधारण कर सके।
“नेतृत्व करता के नेतृत्व पर कार्य के सफल या असफल होने की बात होती है। मान लीजिए आपको बिजनेस कर रहे हैं तो उसमें आपके व्यवहार के अनुसार आपके कर्मचारियों की व्यवहार होगी। आपके स्वभाव, विचार, प्लान पर कर्मचारी आपके अनुसार कार्य करेंगे।
अतः आपका नेतृत्व जैसा रहेगा आपके कर्मचारी भी उसी तरह काम करेंगे। नेतृत्व मानव के शक्ति, शौर्य, सम्मान की शान होती है। शासन करना, निर्देश देना, निर्णय लेना यह सब सबके बस की बात नहीं है। इसके लिए व्यक्ति में इसका गुण होता है। नेतृत्व इस सब बातों का सांझा मेल होती है।
नेतृत्व का क्या अर्थ होते है?
किंवाल यंग के अनुसार “नेतृत्व की विवेचना प्रभुत्व के रूप में की जानी चाहिए।”नेतृत्व मानव की वह विशिष्ट पहचान होती है जो दूसरों से अलग बनाती है। जिससे समाज में उसका इज्जत और दबदबा कायम रहता है। व्यक्ति का वह गुण जो दूसरों को रास्ता बताने आदेश देने तथा किसी कार्य में निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है। यह सब नेतृत्व की श्रेणी में आता है।
वह व्यक्ति जो यह हैसियत रखता है कि वह किसी व्यक्ति को अपनी बातों से उसके व्यक्तिगत जीवन में बदलाव ला सकता है वह नेतृत्वकर्ता है। नेतृत्व व्यक्ति के जीवन में नैसर्गिक होता है जो कि उसके वंश और माता-पिता से मिलता है। यह कई बार साधारण व्यक्तियों में भी पाया जाता है। यह एक जन्मजात लक्षण होता है। नेतृत्व की विशिष्ट पहचान होती है प्रबंधन। प्रबंध ही किसी साधारण या असाधारण कार्य की रूपरेखा होती है। अगर प्रबंधक ठीक नहीं रहेगा उसकी कुशलता और प्रभुता में कमी हो गई तो उस कार्य को सही से नहीं कर पाया जाएगा। प्रबंधन का मुख्याधीस प्रबंधक ही होता है।
नेतृत्व को परिभाषित करना अपने आप में मुश्किल कार्य है क्योंकि इसकी परिभाषाएं जितनी भी दी जाए कम है। यह आवश्यक नहीं है कि प्रबंध नीति प्रगतिशील हो महत्वपूर्ण यह है कि प्रबंध नीति सुचारू रूप से हो। अगर प्रबंधन नीति सुचारू रूप से चली तो प्रगति अपने आप दिखने लगेगी। विश्व और सामाजिक पटल पर नेतृत्व का एक विशिष्ट स्थान है। सफलता हो या असफलता इसके लिए बहुत हद तक नेतृत्व ही जिम्मेदार होता है। दुनिया के सभी सफल व्यक्ति या सफल काम कुशल नेतृत्व का ही पहचान है।
नेतृत्व की विशेषता क्या होती है?
नेतृत्व सरलता, स्वामित्व, सुझाव और सम्मान का मिश्रण है। नेतृत्व वह विशेष गुण होता है जिसमें नेतृत्व करता किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन में अपनी बातों का प्रभाव डालता है और उसे प्रभावित करता है अपने व्यवहारों से। एक नेतृत्वकर्ता का गुण होता है कि उसके नेतृत्व को समाज स्वेच्छा पूर्वक बिना किसी दबाव के स्वीकार करता है और व्यक्ति पर भरोसा करता है।
नेतृत्व तब उजागर होता है जब दो या दो से अधिक गुप्त किसी एक ही काम को अलग-अलग अंजाम देते हैं और सभी गुट की सफलता तथा असफलता को आंकी जाती है। पीगर्स के अनुसार “नेतृत्व पारस्परिक उत्तेजना का प्रक्रिया है जिसका मतलब होता है नेतृत्व के द्वारा व्यवहारों में किया जाने वाला परिवर्तन।” नेतृत्व व्यक्ति के व्यवहार में झलकता है। व्यक्ति की नियत, उसके काम करने के तरीके, सोचने की क्षमता उसकी नेतृत्व सिद्ध करती है।
नेतृत्व का महत्व क्या होता है?
नेतृत्व के बिना सामाजिक संचालन संभव नहीं है। बिना नेतृत्व समाज में अराजकता उत्पन्न हो जाएगी। सामाजिक व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।कोई भी क्षेत्र जैसे सामाजिक तथा राजनीतिक धार्मिक तथा औद्योगिक पारिवारिक तथा सामुदायिक नेतृत्व के आधार स्तंभ पर ही कायम है। किसी भी कार्य में होने वाले निरीक्षक को ही नेता कहा जाता है। कार्य करवाने का जिम्मा नेता पर होता है और नेता के दिशा निर्देश पर कार्यकर्त्ता उस कार्य को पूरा करता है।
नेतृत्व प्रबंधन का मुख्य पूरक है प्रबंध के बिना कोई कार्य संभव नहीं है। प्रबंध करना प्रबंधक का काम होता है तथा प्रबंध प्रगतिशील बनाना नौकरों तथा उससे छोटे पदाधिकारियों का। प्रबंधक द्वारा किया गया प्रबंधन ही नेतृत्व कहलाता है। नेता बनने के लिए यह आवश्यक होती है कि नेतृत्व का प्रभाव सभी वर्ग पर समान डाल सके ताकि इससे प्रभावित होकर लोग उसे अपना नेता माने। सफल नेतृत्व का गुण सफल नेतृत्व उसके नेता के गुण से होता है।
एक सफल नेता को सरल, स्वाभाविक, न्यायप्रिय, कठोर नितिन निपुण तथा ज्ञानी हो सके ताकि वह अपने आप को सबसे अलग दिखा सके। नेता में ऐसा गुण जो उसे सम्मान दिलाए उसकी एक विशिष्ट पहचान बनाए जो समाज में उसकी हैसियत बताएं उसके बोलने के तरीके जिससे मनुष्य आत्मनिर्भर हो जाए होनी चाहिए। समर्थक नेता की एक जरूरत होती है। उसकी पहचान तब एक नेता के रूप में होती है जो आपने बात और विचार से दूसरों से काम निकलवा सके। नेता को सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए पक्षपात रहित व्यवहार जिसे उसका सम्मान बढे।
एक सफल नेता अपनी जिंदगी के मकसद को हमेशा पूरा करने की कोशिश करता है। समय के साथ उसके व्यवहार में बदलाव जैसे कि कब गुस्सा करना है कब हंसना है और कब बोलना है इसके लिए उचित समय का ज्ञान भी सफल नेता की विशिष्ट पहचान होती है। नेतृत्व करने के लिए नेता में सभी गुण मौजूद होनी चाहिए नेतृत्व समाज का आधारशिला है इसके बिना मानव समाज की कल्पना ही नहीं कर सकते।
एक नेता में कौन कौन सी गुण होनी चाहिए? क्या सभी नेताओं के गुण एक जैसे होते हैं क्या?
ना सभि नेताओ के गुण एक जैसे नहीं होते। नेता चाहे राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक कोई भी हो, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी प्रतिबद्धताएं बताने की क्षमता हर व्यक्ति में अलग होती है। अधिकतर यह किसी के रुचियों अथवा अरुचियों पर निर्भर करती है। तो भी नेता को एक ही मापक यंत्र से सबको मापना होता है। उसे सही समय पर उचित निर्णय लेने के लिए वांछित बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है।
धन्यवाद बहुत ही अच्छा बताया आपने
नेता और नेतृत्व दोनों एक दूसरे से जुड़े होते हैं। नेता किसी भी दो या उससे अधिक व्यक्तियों के समूह का नेतृत्वकर्ता हो सकता है। आत्मविश्वासी, दृढ़ता, समानता, सरलता, सहजता, निर्णय लेने की क्षमता व्यक्ति को दूसरों से अलग तथा विशिष्ट बनाता है। नेता विशिष्टता का ही पहचान है।