हिंदी कविता कक्षा 4 की प्रतियोगिता के लिए | Hindi Poem for Class 4th Competition

पापा

डैड, पापा, अब्बू, डैडी
जाने कितने ही नाम
एक पिता के होते हैं
लेकिन प्यार में कमी
कोई भी पापा नही छोड़ते हैं
उंगली पकड़कर चलना सिखाया
साईकिल भी नया दिलवाया
फिर अच्छे स्कूल मे दाखिल करवाया
अपने सपने छोड़कर पापा
हमें सपने देखना सिखाया
हर ज़िद पूरी की है मेरी
कपड़े, खिलोने , पिकनिक
थकते नही हो क्या तुम सुनकर
दिनभर सुनकर मेरी किट-पिट
प्यार करुं मै भी तुमको
कहना न आए मुझको
कोशिश मै फिर भी कर रहा हूं
पापा मै तुमको प्यार बहुत करता हूं
यह बात मै अपनी हर हरकत
मै बिना कहे जता रहा हूं।

बचपन

खेल कूद से फुरसत नही है
बड़े होने की जल्दी पड़ी है
पढ़ना तो सरदर्दी है
सुबह-सुबह उठना पड़ता है
चाहे गर्मी है चाहे सर्दी है
फिक्र कोई कंधे पर नही है
मौज-मस्ती भरी ज़िंदगी है
खूबसूरत पलों की नदी में जो बहते हैं
उसे हम बचपन कहते हैं
बचपन की हर बात निराली है
उसकी हर बात प्यारी है
जी लो इस लम्हे को जितना जी सको
किसको पता है कल का
आज ही मे ज़िंदगी सारी है
बड़े होने की जल्दी न‌ करो
ज़िम्मेदारियों से अभी दूर रहो
यह पल वापिस नही आते
बचपन की याद है सताते
जी लो जितना जी सको इसको
बड़े होकर यही कहोगे
कि काश हम बच्चे होते।

स्वास्थ

सुबह सूरज उगने से पहले उठो
व्यायाम करो , योगा‌ करो
नाश्ते मे‌ पोष्टिक आहार लो
स्कूल जाने से पहले
अगर सोते तुम रह जाओगे
कक्षा मे अव्वल नंबर कैसे लाओगे
तंदरुस्त रहना है तो
खाना-पीना नियंत्रित हो
बरगर, पिज़्ज़ा, कोलडरिंक से
हो सके तो दूरी ही रखो
खेल-कूद में भाग लो जम कर
दिमाग भी खूब निखरता है
बैठे रहने से स्वास्थ ही बिगड़ता है
देर रात तक जागोगे तो
सोते ही रह जाओगे
फिर ज़िंदगी में पीछे ही रह जाओगे
जल्दी सोना , जल्दी उठना
हर काम समय पर होता है
ज़िंदगी मे आगे बढ़ने से
फिर देखो कौन तुम्हे रोकता है
स्वास्थ है तो जीवन है
जीवन है तो काम
काम करना है तो पहले
स्वास्थ पे दो ध्यान।

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वादों

कहा जाता है वादे तोड़ने के लिए होते हैं
ऐसा कहने, करने वाले लोग झूठे होते हैं
जाने अनजाने हम ऐसा कर देते हैं
जब हम रूठे होते हैं
मगर यह विश्वास तोड़ना,
ग़लत बात है किसी की बात खोलना
वादों के जो पक्के हैं
वही इनसान सच्चे हैं
किया वादा निभा जाता है
वो हर कहीं सफ़ल हो जाता है
झूठा वादा करो ही मत‌
अगर निभा नही सकते
क्योंकि उसके बाद‌ की शर्मिंदगी
हम छुपा‌ नही सकते
भरोसा टूटता है तो
वापिस बनता नही
फिर वो‌ इंसान किसी को‌ जमता नही
सच्ची राह पर‌ चलते रहो
वादे‌‌ पूरे करते‌ रहो
अच्छा इन्सान वही होता है
जो सच्चा होता है।

तिरंगा

यूं तो हर देश में है
उनका झंडा लहराता
भारत देश का भी‌ झंडा है
तिरंगा जिसे कहा है जाता
केसरी ,सफेद और हरे रंग से
बना है तिरंगा हमारा
धर्मचक्र का प्रतीक है जो
सफ़ेद पट्टी में नीला तारा
राष्ट्र चिन्ह् और गौरव है ये
भारत का तिरंगा प्यारा
स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस
को है जाता फहराया
जो तीन रंग है इसके
केसरी, सफेद, और हरा
कहते है ये कुछ हमको
है मतलब इसमें गहरा
केसरी रंग साहस और त्याग सीखाता है
सफ़ेद रंग शांती और सत्य की सीख हमे सिखाता है
हरे रंग का मतलब भी बड़ा निराला है
संस्कृति, विश्वास का पाठ हमे पढ़ाता है
जिस देश के झंडे का मतलब इतना गहरा है
उस भारत देश पर है गर्व मुझे
जिसका झंडा शान से लहरा है।

प्रदूषण

पानी, हवा, मिट्टी
हर जगह दूषित है
साफ रखने को सब
किया सबको सूचित है
मगर फिर भी मनमर्ज़ीयां
है चल रही
गंदगी ही गंदगी
है हर जगह पल रही
विकास के नाम पर
फैक्ट्री है लग गई
पानी, हवा की गंदगी
की किसी ने न सोची
पेड़ ही पेड़ कट गए
मिट्टी को ढीली कर गए
सभ्य होना कुछ इस तरह
हम सीख गए
कुदरत के साथ खिलवाड़
जब भी है होता
बदला तो उसका किसी न किसी
रूप में है होता
गर्मी जो इतनी बढ़ गई है
प्रमाण गंदगी का दे रही है
बेवक्त जो बारिश है
असंतुलन की निशानी है
इस तरह चलता रहा
कुछ भी शायद न बचे
खुद तो हम जी लिए
किसी को‌ क्यो न जीने दें
संभल कर हर चीज़ का
इस्तेमाल हो
आज भी और कल भी
हर चीज़ का भंडार हो।

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समय

कहते हैं कि समय रुकता नही
बस चलता रहता है
पानी की तरह बहता रहता है
बर्बाद जो इसको कर देता है
पछतावा उसको बहुत होता है
समय किसी के लिए नहीं रुकता
इसको पकड़ना पड़ता है
यह बर्बाद ना हो
इसलिए कुछ करना पड़ता है
इसको पकड़ लिया तो सब आसान है
मगर आधी दुनिया नादान है
समझ ना सकी इस खेल को
समय के दिए संदेश को
तुम समझ सको तो समझ जाना
कुछ करना है तो थम जाना
इधर उधर तुम घूमोगे
तो हर राह पर
मुश्किलों से जुझोगे
तो वक्त की कद्र करना सीख लो
पानी अगर जीत हो
हासिल हो जाएगा सब
अगर बर्बाद इसे ना करोगे
वरना हार पर बैठ कर अपनी
तुम बड़ा पछताओगे।

सत्य/सच

सच बोलो ये हमें सिखाया जाता है
और हम सीख लेते हैं
जब हमें लोग मिलने लगते हैं
तब झूठ भी सीख लेते हैं
तब हम अशुद्ध होने लगते हैं
मासूमियत खत्म होने लगती है
चालाकियां हर जगह दिखती हैं
सच बोलते बच्चे कभी फसते नहीं
झूठ बोलने से कोई लाभ नही
बेमतलब के झगड़ों में फस जाते हैं
निकल पाना जिससे आसान नही होता
सच बोलना ज़रूरी है
ये बताया तो जाता है
लेकिन क्यों बोलना चाहिए
ये कोई नहीं बताता
बच्चे सीख लेते हैं झूठ बोलना
खराब चीज़ हमें जल्दी प्रभावित करती है
जब बच्चे बड़े होते हैं
तो इसका मतलब समझते हैं
कभी कभी देर हो जाती है
इसलिए बताना ज़रूरी है
कि सच बोलना क्यों ज़रूरी है
नकाब पहनकर ज़्यादा देर ना चल पाओगे
चलते चलते कहीं ना कहीं गिर जाओगे
सच के रास्ते सर उठा कर
बिना डर के चलना है तो
सच ही बोलो
और सच बोलना भी चाहिए
झूठ में तुम फसोगे है
चाहे एक बार आज़मा लो।