लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर सन उन्नीस सौ चार उत्तर प्रदेश मुगलसराय में हुआ था। मृत्यु 18 जनवरी 1966 में हुआ था। उनके पिता का स्वर्गवास बचपन में ही हो गया था। उनकी माता उनको ननिहाल ले कर चली गई और लाल बहादुर शास्त्री का जीवन वहीं से शुरू हुआ। मां का नाम रामदुलारी था। पिता का नाम शारदा श्रीवास्तव था।

लाल बहादुर शास्त्री के पिता प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक थे। लाल बहादुर शास्त्री का शिक्षा अध्ययन लाल बहादुर शास्त्री मिर्जापुर से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त किए थे। आगे की पढ़ाई काशी विद्यापीठ से पूरी की इसके बाद काशी विद्यापीठ से शास्त्री नाम की उपाधि मिली और उसके बाद से शास्त्री नाम से जाने जाने लगे।

लाल बहादुर शास्त्री का विवाह 1928 में मिर्जापुर गणेश प्रसाद की पुत्री ललिता के साथ हुआ था। शास्त्री जी गांधीवादी विचार के थे। लाल बहादुर शास्त्री जी 1929 में इलाहाबाद आ गए और उनकी भेंट नेहरू जी से हो गई। शास्त्री जी ब्रश 1951 में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दल का महासचिव नियुक्त किए गए।

लाल बहादुर शास्त्री अपना सारा जीवन गरीबों में लगाए थे। गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन भी किए। इसके बाद शास्त्री जी बॉस 1952 से संसद में चुने गए और केंद्रीय रेलवे परिवहन मंत्री बने। नेहरू जी के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बने ताशकंद समझौते में दिल का दौरा 1966 में पड़ा। ताशकंद में मृत्यु 11 जनवरी 1966 में हुई। 1966 में भारत रत्न से संबोधित किए गए थे।

नेहरू जी के मृत्यु हो जाने के बाद 9 जून 1966 को द्वितीय प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी महान स्वतंत्रता संग्रामी थे। 1962 के युद्ध के बाद भारत बहुत कमजोर था। 1965 में पाकिस्तान ने सोचा कि भारत बहुत कमजोर है और उनके पास अमेरिका से गिफ्ट में दिया हुआ बहुत सारा जहाज था।

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लाल बहादुर शास्त्री और आर्मी के जवान ने 1962 में हथियार की कमी रहने के बाद भी पाकिस्तान को धूल चटाया। 1965 में सायं 7:30 बजे पाकिस्तान में भारत हवाई हमला कर दिए। राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बैठक बुलाई सारी सूचना शास्त्री जी को दी गई, शास्त्री जी ने जवाब में कहा- आप देश की रक्षा करें और मुझे बताइए हमें क्या करना है? बुरी स्थिति में भी संघर्ष करते रहे।

इसी बिच लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा लगाया। और एकजुट होकर पाकिस्तान को हरा दिए। पाकिस्तान कभी सोचा भी नहीं था। और 3 साल पहले चीन ने भारत को हरा दिया था। इस प्रकार लाल बहादुर शास्त्री ने संघर्ष करके भारत को मान सम्मान के साथ आगे बढ़ाया।