बसंत पंचमी ने मनाए जाने वाला यह सबसे पहला त्यौहार है”सरस्वती पूजा”। इस त्यौहार को बसंत पंचमी के दिन ही बड़े श्रद्धा और भाव के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों का एक प्रमुख त्योहार है ।हालांकि माता सरस्वती की पूजा नवरात्रि के समय भी होती है परंतु बसंत पंचमी में माता सरस्वती की पूजा की एक विशेष महत्व होती है। यह त्योहार हर व्यक्ति द्वारा मनाई जाती है।परंतु इसका विशेष महत्व विद्यार्थियों के लिए है।उस दिन हर छात्र-छात्रा सुबह-सुबह नहा धोकर मुहूर्त पर देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। माता सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी माना जाता है।यह जिसके कंठ में विराजित हैं उसे फिर कोई पराजय नहीं कर सकता है।यह विद्या बुद्धि से मूर्ख को भी ज्ञानी बना सकती है।विद्या में बहुत शक्ति होती है यह पूरे इतिहास को बदलने के लिए काफी है। सरस्वती माता की पूजा अर्चना कर हम उसे बुद्धि और ज्ञान को प्राप्त करते है।
2021 में सरस्वती पूजा किस तारीख को है?
इस साल 2021 में बसंत पंचमी यानि जिसे हम सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते है वो मंगलवार, 16 फरवरी को है।
सरस्वती पूजा के विधि विधान
इस दिन सुबह सुबह विद्यार्थी जन माता के मंदिर में उपस्थित होते हैं।कई लोगे यह पूजा घर पर ही मां की मूर्तियां या उनकी फोटो के सामने करते हैं। वह सुबह से उपवास रख कर मां सरस्वती को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। उसके बाद फल मिष्ठान का माता को भोग लगाया जाता है। तथा प्रथा के अनुसार विद्यार्थी अपनी किताब व कलम देवी सरस्वती के सामने रख देते हैं और देवी के विसर्जन के बाद ही किताब कलम को देवी के स्थान से हटाया जाता है।
माता सरस्वती का विसर्जन
माता सरस्वती के विसर्जन से पहले स्थापित किए जगह पर सुबह 1:00 हवन करवाया जाता है। तथा इतने दिनों जिस कलश की पूजा करते हैं उस कलश को उस जगह से हटा दिया जाता है या उसको थोड़ा सा हिला दिया जाता है। उसके बाद माता सरस्वती की मूर्तियों को नदी,पोखर या तालाबों में विसर्जित किया जाता है। पंडाल से लेकर नदी, तालाबों और पोखर तक लोग मां सरस्वती के जयकारे लगाते हैं। माता के मूर्ति को विसर्जित करने के बाद मूर्ति के साथ विसर्जन करने गए लोगों को प्रसाद फल या मिठाइयां खिलाई जाती है। ऐसे ही हर्षोल्लास के साथ इस पर्व का अंत किया जाता है तथा इसके अगले साल आने का भी बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है।