मेरा प्रिय खेल क्रिकेट पर निबंध

खेलकूद का इतिहास काफी पुराना है। विभिन्न प्रकार के खेल मानव जीवन में उत्साह और मनोरंजन का साधन होता है। पृथ्वी पर मानव जीवन शुरू होने के साथ ही खेल की भी शुरुआत मानी जाती है। खेल खेलने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। खेल का विभिन्न प्रकार होता है। कुछ खेलो को खेलने में शारीरिक मेहनत करनी पड़ती है तो कुछ खेलो को खेलने के लिए मानसिक मेहनत लगती है। खेल कोई भी हो जब शुरू होती है तो व्यक्ति उसमें इस प्रकार लिप्त हो जाता है कि खाना-पीना तक भूल जाता है। बच्चों में खेल का उत्साह देखने लायक होता है।

जब बच्चों को छुट्टी मिलती है तब तब वो खेलने में ही रुचि लेते हैं। छुट्टी वाले दिन बच्चे पूरा दिन खेलने में गुजार देते हैं। खेलने के चक्कर में बच्चे घर वालों से डांट भी सुनते हैं परंतु फिर भी वह खेलने से अपने आप को रोक नहीं पाते। वैज्ञानिक रूप से खेल का बहुत अधिक महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार खेलकूद में व्यस्त रहने वाला व्यक्ति मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है।

इतिहास की किताब देख ले अथवा धार्मिक कथाओं का किताब सब में खेलकूद का वर्णन मिलता है। पौराणिक युग में भी खेल बहुत प्रचलित था। राजा महाराजा अपने राज्य में नियमित रूप से खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित करते थे। पुरानी कारों का खेल ज्यादातर मानसिक मेहनत पर आधारित होते थे। कुश्ती, मल युद्ध, निशानेबाजी इत्यादि उस समय के मुख्य खेल थे। आज के समय में खेलों का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है।

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आज खिलाड़ियों को समाज में विशिष्ट स्थान दिया जाता है। खिलाड़ी को विभिन्न विशिष्ट स्तरों से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष विभिन्न छोटे-बड़े स्तरों पर खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। विश्व के सारे देश में खेलों का एक विशिष्ट स्थान है। सभी देश अपने खिलाड़ियों को विभिन्न देशों में खेलने के लिए भेजते हैं। उन्हें प्रेरित करते हैं। विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जाती है ताकि खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें।

खिलाड़ियों को पढ़ाई, आवास तथा खेलकूद की सारी सुविधाएं तथा जरूरतें सरकार उपलब्ध कराती है ताकि खिलाड़ियों को अपना प्रतिभा बिखेरने में कोई तकलीफ ना हो। भारतवर्ष में कई तरह की खेल खेली जाती है। कुछ खेल राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी परचम लहरा चुकी है। भारतवर्ष में खेल की रूचि इतनी अधिक है कि गली मोहल्ले में बच्चे अपने मन से नई-नई खेलों का आविष्कार कर देते हैं। क्रिकेट वॉलीबॉल कबड्डी हॉकी बैडमिंटन आदि भारत की लोकप्रिय खेल है। आज भारत में तथा अन्य देशों में खेलकूद की कई बड़ी संस्था है जो खेलों का आयोजन करती है और लोग इसे देखने देश विदेश से आते हैं।

खेलकूद भी देश की अर्थव्यवस्था रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बच्चों में गांव घर की प्रथा प्रचलित खेल कबड्डी तथा क्रिकेट होती है। रोज सुबह शाम गांव के मैदानों में बच्चे खेलने आते हैं। खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है जिसे किसी न किसी रूप में हम अवश्य खेलते हैं। खेलकूद में भाग लेने से मन प्रसन्न रहता है तथा शारीरिक क्षमता भी बढ़ती है। बचपन में मेरा प्रिय खेल क्रिकेट था। क्रिकेट आज विश्व में प्रसिद्ध खेल माना जाता है। कई सारे देश क्रिकेट प्रतियोगिता में रुचि दिखाते हैं तथा इस में भाग लेते हैं। क्रिकेटर को समाज में रोल मॉडल के रूप में देखा जाता है।

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गांव घर में भी अच्छा खेलने वाले को सभी याद करते हैं। क्रिकेट की कई सारी प्रतियोगिताएं प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। यह कई स्तरों पर आयोजित किया जाता है। क्रिकेट के मैदान में खिलाड़ियों से ज्यादा बहुत ज्यादा दर्शक होते हैं। भारत में लगभग सभी लोग क्रिकेट खेलते हैं तथा क्रिकेट को पसंद करते हैं। क्रिकेट जब शुरू होती है तो आसपास के लोग स्वता ही देखने लगते हैं तथा अपना वक्तव्य देने लगते हैं। अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय मंच की तरफ से क्रिकेट का आयोजन होता है तब लोग दो-तीन महीना पहले हे टिकट बुक करा लेते हैं। क्रिकेट आज का सबसे महंगा खेल भी माना जाता है।

लाखों में खिलाड़ियों को खरीद कर टीम बनाकर उतारते हैं। क्रिकेट में कई ऐसे नाम हैं जो सर्वाधिक लोकप्रिय तथा अच्छा खिलाड़ी रहे हैं महेंद्र सिंह धोनी सचिन तेंदुलकर विराट कोहली और क्रिस गेल जैसे बहुत सारे नाम हैं। क्रिकेट खेल में 1 टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं तथा उनका मुकाबला उतनी ही खिलाड़ियों वाले दूसरे टीम से होती है। इसमें जो टीम सर्वाधिक रन बनाते हैं वो विजयी होते हैं।

क्रिकेट मैच हमारे देश में कई चरणों में खेला जाने वाला खेल है। हरचरण विजय होने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विजई टीम को खेलने भेजा जाता है। आईपीएल, वनडे, t20, सेमी फाइनल, फाइनल क्रिकेट की कई महत्वपूर्ण चढ़ने होती है। सभी दर्शक अपने प्रिय खिलाड़ी के अच्छे प्रदर्शन तथा जीत की कामना करते हैं। क्रिकेट बहुत ही उत्साह तथा मनोरंजक खेल माना जाता है।

क्रिकेट खेल जितना लोकप्रिय तथा मनोरंजक है मनुष्य के निजी स्वार्थ के कारण वह उतना ही घटिया बनते जा रहा है। क्रिकेट विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से जोश के साथ खेले जाने वाला खेल है। जिसके कारण दर्शकों का उत्साह भरा होता है। वहीं कुछ लोग इस क्रिकेट टीम को अपना धंधा बना कर रखा हुआ है। कुछ असामाजिक तत्व इस खेल को जुआ में तब्दील करने में जुटा हुआ है।

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पढ़ने वाले बच्चों को पैसा का लोभ दिखाकर सट्टेबाजी में फंसाते हैं। खुद तो बहुत पैसा कमाते हैं परंतु समाज में बच्चों को बर्बाद करते हैं। सट्टा एक नशा होता है। यह भारतवर्ष में अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह के कुकृत्य कार्यों से क्रिकेट जैसा प्रसिद्ध खेल भी बदनाम हो जाता है। अतः लोगों को सत्ता से दूर रहना चाहिए खासकर बच्चों को। सरकार को इस पर सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए नहीं तो क्रिकेट का भविष्य में चला जाएगा और यह प्रसिद्ध मनोरंजक खेल सट्टा का अड्डा मात्र बनकर रह जाएगा।