सरोजिनी नायडू (भारत की बुलबुल) के बारे में हिंदी में जानकारी

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद के एक बहुत ही संस्कारी परिवार में हुआ था। वह एक महान कवित्री तथा स्वतंत्रता सेनानी थी। सरोजिनी नायडू नेशनल कांग्रेस पार्टी की पहली महिला अध्यक्ष थी। तथा वह यूपी की गवर्नर भी बनी थी। उन्हें बच्चे बहुत पसंद थे। वे विशेष तौर पर उन्हीं के ऊपर कविताएं लिखा करती थी।उनके हर कविता में देश के प्रति प्रेम तथा एक चुलबुला पन झलकता था।

सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय

सरोजिनी नायडू हर महिला के लिए एक आदर्श और सम्मान का पात्र हैं। 13 फरवरी उनके जन्मदिन को हम सब महिला दिवस के रूप में मनाते हैं। सरोजिनी नायडू का पूरा नाम सरोजिनी चट्टोपाध्याय था। नायडू उपाधि उन्हें शादी के बाद उनके पति द्वारा प्राप्त हुई। इनके पिता का नाम डॉक्टर अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था। इनके पिता एक जाने-माने विद्वान थे। इनकी माता का नाम वरदा सुंदरी चट्टोपाध्याय था। यह एक लेखिका थी जो मुख्यतः बांग्ला भाषा में लिखती थी। सरोजिनी नायडू के दो भाई भी थे वीरेंद्रनाथ और हरिंद्रनाथ। सरोजिनी नायडू ने प्रेम विवाह किया था। इन्होंने डॉक्टर एमजी नायडू से शादी की थी। सरोजिनी नायडू के 5 बच्चे थे पद्मजा,लीलामणि, जयसूर्य, रणधीर तथा नीलावर नायडू।

सरोजिनी की पढ़ाई

सरोजिनी नायडू बचपन से ही एक होनहार विद्यार्थी रह चुकी थी। इन्होंने 12 वर्ष की आयु में ही दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी। सरोजिनी ने 13 वर्ष की आयु में कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। इन्होंने दसवीं की पढ़ाई मद्रास यूनिवर्सिटी से की और बाद उन्होंने उच्च माध्यमिक की पढ़ाई पूरी करने के लिए 1895 में इंग्लैंड चली गई थी। उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन तथा ग्रिटोन कॉलेज कैंब्रिज से भी पढ़ाई की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब 1898 में वापस वह भारत लौटी तब उन्होंने अपनी जिंदगी का दूसरा फैसला लिया और डॉक्टर मेजर एम जी नायडू से विवाह कर लिया था।

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सरोजिनी: एक कवित्री

सरोजिनी नायडू ने 13 वर्ष की आयु में ही लिखना शुरु कर दिया था। “द लेक ऑफ़ द लेडी” उनकी पहली कविता थी जिसके लिए उन्हें पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेजा गया था। इसमें करीबन 13 सौ लाइनें लिखी गई थी। यह 192 में प्रकाशित हुई थी। इसके साथ उन्होंने कई सारी किताबें लोगों को सम्मानित करने के लिए लिखी थी। द गोल्डन थ्रेसोल्ड यहां इन्होंने सर एडम सिमोन को सम्मानित करने के लिए लिखा था। यह 1905 में प्रकाशित हुई थी। इनकी द बर्ड्स ऑफ टाइम यह किताब इन्होंने अपने माता पिता को समर्पित किया था यह किताब उन्होंने लंदन में लिखी थी इसमें कुल 46 कविताएं थी। यह 1912 में प्रकाशित हुई थी। इन्होंने दाल लोटस किताब महात्मा गांधी को समर्पित करने के लिए लिखी थी तथा उनकी कई सारी कविताओं में देश प्रेम का भाव दिखता है। सरोजिनी नायडू ने. कॉल किताबें लिखी हैं। तथा यह कई भाषाओं की ज्ञानी भी थी। इन्हें बंगला, हिंदी अंग्रेजी तथा परसियन भी आती है। तथा इन भाषाओं में भी इनकी कई सारे किताबें प्रकाशित है।

सरोजिनी: एक स्वतंत्रता सेनानी

स्वतंत्रता के बाद सरोजिनी नायडू आजाद भारत के यूपी राज्य की पहली महिला गवर्नर बनी। 1925 में भारतीय कांग्रेस पार्टी की महिला अध्यक्ष भी रही थी। यह पहली भारतीय महिला थी जिन्होंने गवर्नर पद तथा गवर्नर कार्यालय को संभाला था। बंगाल के भाग होने के बाद यह 1905 में भारत आजाद आंदोलन से जुड़ गई थी। उन्होंने 1917 में डब्ल्यू.आई.ए (वूमेन इंडियन एसोसिएशन)की स्थापना की थी।1920 में इन्होंने गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलन में भी एक अहम भूमिका निभाई तथा इसमें इन का बहुत बड़ा योगदान भी रहा है। 1930 में दांडी मार्च के दौरान इन्हें जेल भी जाना पड़ा था तथा 21 महीनों के लिए इन्हें जेल में भी रहना पड़ा था। जेल से निकलते ही उन्होंने वापस से भारत को आजाद करवाने का काम शुरू कर दिया तथा लिखने का काम भी कभी नहीं रोका। इन्होंने न्यूयॉर्क, लंदन, इंग्लैंड जैसे अन्य कई सारे देशों में जाकर अंग्रेजी भाषा में भाषण भी दिया था। तथा लोगों को अपने देश की आजादी, नारी शिक्षा तथा सुरक्षा के बारे में भी समझाया था। आजादी के लड़ाई के दौरान वह बहुत सारी हस्तियों से मिली जैसे रविंद्र नाथ टैगोर, गोपाल कृष्ण गोखले, महात्मा गांधी इत्यादि। महात्मा गांधी ने हीं सरोजिनी नायडू को “भारत की बुलबुल” की उपाधि दी थी।

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सरोजिनी के पुरस्कार और उपलब्धि

सरोजिनी नायडू को उनके जीवन काल में उनके कार्यों और उनके लेखनी के लिए कई सारे पुरस्कार तथा सम्मान व पदवी मिली। उन्हें 1914 में रॉयल सोसाइटी ऑफ लिटरेचर के लिए चुना गया। 1925 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थी। वह यूपी की पहली महिला गवर्नर थी। 1917 में उन्होंने डब्ल्यू.आई.ए की स्थापना की थी।1929 में उन्हें केसर -ए -हिंद नामक पुरस्कार से ब्रिटिश सरकार द्वारा नवाजा गया था। जिसे उन्होंने जालियां वाला बाग हत्याकांड की घटना के दौरान ब्रिटिश सरकार को वापस लौटा दिया था। तथा सबसे महत्वपूर्ण तोहफा उन्हें गांधी जी के द्वारा उनके उपनाम “भारत की बुलबुल” के जरिए प्राप्त हुआ था।

सरोजिनी नायडू की मृत्यु

सरोजिनी नायडू का निधन 2 मार्च 1949 को दोपहर 3:30 बजे लखनऊ के गवर्नर कार्यालय में हार्टअटैक के द्वारा हो गया था। उस दिन सुबह से ही उन्हें उनकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी। परंतु वह फिर भी काम कर रही थी और 3:30 बजे गवर्नर कार्यालय में कार्य करते करते ही उनका निधन हो गया। परंतु वह आज भी हमारे दिलों में और इस उपनाम “भारत की बुलबुल” के साथ वह हमेशा सबके दिलों में जिंदा रहेंगी। इनकी मृत्यु के बाद भी उनकी बेटी पद्मजा ने बहुत सी कविताएं प्रकाशित करवाई जिसका नाम उन्होंने “द फेदार ऑफ डॉन” रखवाया। यह 1961 में प्रकाशित हुई थी।