श्री सत्यनारायण भगवान की पूजन की पूरी जानकारी

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा हम लोग हिंदू धर्म में या सनातन धर्म में किसी भी नए कार्य शादी, शुभ कार्य आरम्भ करने या करने के बाद श्री सतनारायण भगवान का पूजन करना जरूरी होता है।

पूजा के सामग्री में पंजीरी और पंचामृत होना जरूरी है। उसमें फल या पूजा की सामग्री पंजीरी के लिए सामग्री सवैया होना जरूरी है।

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा हर वर्ग या हर जाति के लोग कर सकते हैं। इसका कोई समय निर्धारित नहीं होता है। किसी भी खुशी के लिए किया जाता है, यह प्रथा हम लोगो के पूर्वजों से चला आ रहा है, इस पूजा के प्रसाद का महत्व बहुत है। कहीं भी किसी जाति का पूजा श्री सतनारायण भगवान की हो रुक कर प्रसाद ग्रहण जरूर करें। इस प्रसाद से हर प्रकार का कष्ट दूर होता है, पहले जमाने में ब्राह्मण ही पूजा करते थे, क्योंकि पहले ब्राह्मण ही पढ़े-लिखे रहते थे, हम लोग भी पूजा का सामान या विधि को जानकर अपने घर में साथी संबंधी के साथ पूजा कर सकते हैं। इस समय पढ़ाई लिखाई सभी के घर में लोग पढ़े लिखे होते हैं, ब्राह्मण से पूजा करने या दक्षिणा देने से सौ गुना महत्व रहता है, लेकिन भगवान तो श्रद्धा सुमन के भूखे है।

पंजीरी के लिए:

आटा, चीनी, भूना हुआ धनिया का चूर्ण, तुलसी का पत्ता – सतनारायण भगवान का मुख्य प्रसाद माना जाता है।

पंचामृत के लिए सामग्री:

दूध, दही, घी- ( यह तीनों दूध से ही बना होता है।)
मध
चीनी या गुड़
गंगाजल
केला

See also  बॉलीवुड सितारे कैसे घर में रहते हैं? किस बॉलीवुड सेलिब्रिटी के पास है सबसे महंगा घर?

पूजा की सामग्री:

अक्षत
मीठा
रोड़ी
सिन्दूर
चंदन
मोली- वस्त्र के लिए

घी का दीपक जलाकर ही पूजा शुरू करें।
पूजा में गणेश जी की मूर्ति और विष्णु जी की मूर्ति रखें। हम लोग सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा शुरु कर के ही दूसरा पूजा शुरु करते हैं।

पूजा करने के बाद हवन अवश्य करें। क्योंकि हवन से ही पूजा की सफलता प्राप्त होती है हवन के लिए समान आम के लकड़ी, गाय के गोबर से बना हुआ चिपरी,या गोइढा, कपूर से आग प्रज्वलित करें। धूप,धूप मसाला, नौ ग्रह के लकड़ी ,जौ, तिल, चावल, मीठा, दही, सुखी नारियल, एक रंगा शुद्ध घी, पान के पत्ता, कसईली और प्रसाद बना हुआ सभी सामानों मैं भी शुद्ध घी डालकर मिश्रण करें और उसके बाद हवन करें हवन करने से पहले नौ ग्रह का नाम लेकर हवन करें अपने गांव बस्ती का भगवान का नाम स्मरण करके ॐ प्रजापतये नमः स्वाहा मंत्र 108 जप के हवन करे।