Mahila Sashaktikaran Essay in Hindi: Women Empowerment का hindi meaning महिला सशक्तिकरण या नारी सशक्तिकरण है। एक महिला आपकी माँ (mother), बहन (sister), बेटी (daughter), पत्नी (wife) हो सकती है। सशक्तिकरण से तात्पर्य (meaning) है – किसी व्यक्ति को किसी भी कार्य या कर्तव्य को करने के लिए प्रोत्साहित करना या अधिकार (rights) प्रदान करके सशक्त बनाना है।
भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का रूप बताया जाता है लेकिन देवी माना नहीं जाता है। अगर माना जाता तो बात ही अलग होती। हम 21वीं सदी में रहते है लेकिन अफ़सोस की बात है की हम अभी तक महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता (importance of women empowerment) को समझ नहीं सके है।
महिला सशक्तिकरण का अर्थ क्या है? | Nari Sashaktikaran Kya Hai?
Mahila sashaktikaran se aap kya samajhte hain? नारी सशक्तिकरण सिर्फ उत्थान (upliftment) ही नहीं है, बल्कि सुरक्षा की भावना भी है। शिक्षा (education), रोजगार (employment), जागरूकता (awareness), साक्षरता (safety) या महिलाओं के लिए अन्य अवसर (opportunity) सभी में उनका भी समान अधिकार (equal rights) होने चाहिए। कहीं पर महिला होने के कारण किसी के साथ भेदभाव (discrimination) नहीं होने चाहिए।
भारत में महिला सशक्तिकरण में बाधा
भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में कुछ सामाजिक बाधाएं हैं जो महिलाओं को एक पुरुष के साथ कदम ताल नहीं करने देता हैं। चाहे शिक्षा की कमी हो या नौकरी का अवसर, महिलाओं को हमेशा पीछे हटना पड़ता है। ऐसे पुरुष प्रधान देश में महिलाओं पर लगातार आपत्ति जताई जाती है और उन्हें सिर्फ एक घरेलू का के रूप में माना जाता है और कुछ नहीं। यह गर्व से हठधर्मी समाज द्वारा सोचा गया है कि रसोई वह जगह है जहां सिर्फ एक महिला रहती है, दूसरे कामों के लिए महिलाओं को असमर्थ माना जाता है। महिलाओं को नीचे खींचने का निरंतर प्रयास, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।
उनका लिंग असमानता (gender inequality), बाल विवाह (child marriage), कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण, समान वेतन का अधिकार, कन्या भ्रूण हत्या (female foeticide), नारी शिक्षा और सामाजिक मापदंड – अड़चन ये सब महिला विकास के मार्ग में आने वाले सबसे बड़ी रुकावट है।
महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध
महिलाओं के खिलाफ अपराध दुनिया के हर कोने में बहुत होता है हमारा देश भारत अकेला नहीं है लेकिन हम अपने देश में महिलाओं को देवी मानते है तो उनको वो सम्मान देना चाहिए।
अपराधों की दर हमारे देश में पश्चिम बंगाल और यूपी जैसे राज्यों में सबसे अधिक 11% बताई गई है। लेकिन सच्चाई सरकारी आंकड़ों से बहुत अलग होती है बहुत सारे आवाज सरकार तक नहीं पहुंचती डर, शर्म जैसे कारणों से वह दब जाती है।
1. एसिड अटैक
एसिड अटैक पुरुषों द्वारा कमजोर लिंग के लिए दी जाने वाली सजा का एक स्थायी निशान है, जो अस्वीकार को संभालने में असमर्थ हैं। यह अभी भी व्यापक रूप से माना जाता है कि महिलाओं को उनकी पसंद की अनुमति नहीं है या न ही वे किसी भी दुष्कर्म के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकती हैं। जो महिलाओं में बढ़ती मृत्यु दर की ओर जाता है और यह स्थिति बुरी तरह से महिला सशक्तिकरण की रोशनी की मांग करती है।
2. बाल विवाह
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, 20-24 वर्ष की आयु की 47% महिलाओं की शादी उनकी कानूनी उम्र से पहले कर दी गई थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में 40% बाल विवाह भारत में होते हैं।
3. घरेलू हिंसा
कई महिलाएं घरेलू हिंसा के बारे में बात करने में संकोच करती हैं और महिला सशक्तिकरण की कमी के कारण कानूनी कार्रवाई करने से इनकार कर देती हैं।
4. दहेज़
अवैध अनुष्ठान होते हुए भी, भारत में दहेज प्रथा को एकरूपता से अपनाया जाता है। वस्तुओं और सामग्रियों के साथ महिलाओं का आदान-प्रदान समाज की निर्दयता को दर्शाता है।
5. बलात्कार और यौन उत्पीड़न
महिलाओं को अक्सर बिना कहे एक वस्तु के रूप में माना जाता है। उन्हें एक कमजोर लिंग के रूप में देखते हुए, उन्हें आसानी से उनकी इच्छा के खिलाफ मजबूर किया जाता है। अपने कार्यस्थल या घर पर रहें उन्हें कभी भी खुद के लिए निर्णय लेने के लिए पर्याप्त रूप से समझने की अनुमति नहीं है। ऐसी विचार प्रक्रिया और सामाजिक संरचना के साथ नई दिल्ली भारतीय शहरों में बलात्कार की उच्चतम दर के साथ आता है।
6. पेशे में असमानता
महिलाओं को पेशेवर और घरेलू असमानता दोनों का सामना करना पड़ता है। व्यावसायिक असमानता में भुगतान, रोजगार और प्रोन्नति (तरक्की) के मुद्दे शामिल हैं। महिलाओं को पुरुष अनुकूलित और आसपास के प्रभुत्व में अनगिनत बाधाओं का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर घरेलू असमानता में लैंगिक पक्षपात शामिल है और यह सब साथ में महिलाओं के लिए इसे और कठिन बना देता है।
महिलाओं को सशक्त बनाने की सरकार की पहल
भारत में महिलाओं के लिए भारत सरकार द्वारा बहुत सारे पहल किये गए है जैसे सख्त नए कानून और योजना चलाई गई है।
महिलाओं के लिए कानून:
- कार्यस्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून
- कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ कानून
- संपत्ति पर अधिकार
- गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार
महिलाओं के लिए योजना (bharat mein mahila sashaktikaran yojana):
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
- उज्ज्वला योजना
- महिला शक्ति केंद्र
- महिला हेल्पलाइन योजना
- आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (adivasi mahila sashaktikaran yojana)
- STEP – Support to Training and Employment Programme for Women
- पंचायती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण