आज हम एक ऐसी संख्या के बारे में बात करेंगे जो किसी संख्या के आगे लगता है तो उसकी कोई मान नहीं होती। वहीं वो 0 जिसे शून्य भी बोलते हैं कभी किसी संख्या के बाद लगे तो उसकी मान बदल जाती है।जैसे पानी की कोई रंग नहीं होती लेकिन उसके बिना जिंदगी नामुमकिन है।ठीक उसी प्रकार 0 के बिना गणित संभव नहीं है।
कितना सौंदर्य है न यह शून्य भी?कहते हैं न एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। तो यहां सिक्का की तुलना आप शून्य से कर सकते है जो अपने साथ दो गुण लेकर चलता है।
अब मुद्दा यह आता है कि आखिर सर्वप्रथम किसने 0 को लाया और कब लाया। आखिरकार क्या जरूरत पड़ी 0 की। कुछ ऐसी बातों की जानकारी आपको यहां मिलेगी।
शून्य संख्या की परिभाषा क्या है? | Zero Sankhya Kya Hai?
एक ऐसी संख्या जिसको परिभाषित करना बेहद कठिन है उसे ही शून्य बोलते हैं।एक ऐसी संख्या जो निराकर,खाली या जिसका कोई अस्तित्व ना हो। उदाहरण से भी आप शून्य को समझ सकते हैं। जैसे –
- किसी क्रिकेटर ने कोई भी स्कोर नहीं बनाया।
- किसी ने गणित में कोई अंक प्राप्त नहीं किया।
- राम के पास एक रुपए भी नहीं है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप शून्य का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।आपको हर वाक्य में कुछ नहीं शब्दों की प्राप्ति हो रही होगी और कुछ नहीं का मतलब ही शून्य होता है।
जीरो का इतिहास क्या है? | Zero Ka Itihas Kya Hai?
कुछ लोगों का मानना है कि शून्य का आविष्कार भारत से पहले अमेरिका में हुई थी। अमेरिका के एक गणितज्ञ हैं जिनका मानना है कि आमिर एक्जेल नामक गणितज्ञ ने सबसे पहले शून्य कंबोडिया में खोजा था।
0 का आविष्कार कब हुआ था? | Shunya Ka Avishkar Kab Hua Tha?
ऐसा माना जाता है कि तीसरी या चौथी शताब्दी में बख्शाली पांडुलिपि पर शून्य को देखा गया था।हालांकि भारत में पहली बार शून्य की खोज पांचवीं शताब्दी में हुई थी।
0 का आविष्कार किसने किया उसका नाम क्या है? | Zero Ka Avishkar Kisne Kiya Uska Naam Kya Hai?
ऐसा माना जाता है कि शून्य का आविष्कार (invention) भारत में आर्यभट्ट द्वारा हुआ था। लेकिन लोग अभी भी दुविधा में फंसे हुए हैं कि यह सच है कि नहीं।ऐसा माना गया कि खोज पांचवीं शताब्दी में हुई लेकिन उसके पूर्व हमने कौरवों की संख्या या रावण के सर की संख्या के बारे में जानते हैं।आखिर उस समय भी शून्य का अंश होगा तभी तो शून्य सहित संख्या बताई जाती है।
जीरो का महत्व क्या है? | Zero Ka Mahatva Kya Hai?
जब महत्व की बात करते हैं तो हम जानते हैं कि हर रोज इस संख्या की आवश्यकता पड़ती है।यह संख्या भले ही अकेले कुछ नहीं हो लेकिन किसी संख्या के बाद लग जाती है तो उसकी मान ही बढ़ा देती है।
कुछ गणना शून्य पर आधारित:
- किसी संख्या को शून्य से गुणा करने पर शून्य ही परिणाम में आता है। जैसे – 7 x 0 = 0
- किसी संख्या में जब शून्य को जोड़ते हैं या घटाते हैं तो वही संख्या मिलता है। जैसे – 7 + 0 = 7, 8- 0 = 8
- किसी संख्या को जब शून्य से विभाजित करते हैं तो अनंत परिणाम में आता है। जैसे – 7/0 = अनंत
- लेकिन जब शून्य को किसी संख्या से विभाजित करते हैं तो शून्य ही परिणाम में मिलता है। जैसे – 0/4 = 0
शून्य का टेबल | 0 का पहाडा | Zero Ka Table
0x1=0
0x2=0
0x3=0
0x4=0
0x5=0
0x6=0
0x7=0
0x8=0
0x9=0
0x10=0